Symptoms of Korona Virus

Symptoms of Korona Virus 



लक्षण लक्षण : हल्का बुखार , पर सांस में दिक्कत नहीं और श्वास नलिका के ऊपरी हिस्से में संक्रमण के लक्षण । यह करें -घर में आइसोलेट करें - दूरी बनाए रखें , इंडोर हों , तब भी मास्क पहने । हाथ बार - बार धोएं । .पानी व अन्य अन्य तरल लगातार पीते रहे , मल्टीविटामिन लें । -डॉक्टर के लगातार संपर्क में रहें । - शरीर के तापमान व ऑक्सीजन स्तर पर लगातार निगरानी रखें । डॉक्टर से तत्काल संपर्क करें अगर . सांस लेने में दिक्कत हो - बहुत तेज बुखार या खांसी हो , जो 5 दिन से ज्यादा चले . अगर हाई रिस्क वाले मरीज हैं इलाज के लिए यह कर सकते हैं - आइनरमेक्टिन की 200 एमसीजी की गोलियां 3 दिन सकते हैं । गर्भवती या स्तनपान करवाने वाली मां इसे न लें । या फिर एचसीक्यू 400 एमजी 4 दिन ले सकते हैं - खांसी व बुखार के लक्षण हों तो ड्राई पाउडर इनहेलर या मीटर्ड डोज इनहेलर से 800 एमसीजी की इनहेलेशनल बडसोनाइड 5 दिन लें ।

मध्यम लक्षण - लक्षण : सांस की गति प्रति मिनट 24 से कम हो , सांस में दिक्कत हो और शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा 90 से 93 % हो - क्या करें : वार्ड में भर्ती करें ऑक्सीजन सपोर्ट . ऑक्सीजन 92 से 96 % पर लाएं । नॉन गैब्रीदिंग फेस मास्क से ऑक्सीजन दें । - प्रोनिंग यानी पेट के बल लेटाकर ऑक्सीजन स्तर बढ़ाएं । हर 2 घंटे में पोजिशन बदलें । बुखार के लिए दवा और इम्युनिटी संबंधी उपचार . इंजेक्शन मिथाइलप्रीडेनिसोलोन 0.5 से । एमजी मरीज के प्रति किलोग्राम वजन के अनुसार दो डोज़ बांट कर या डेक्सामेथासन की बराबर डोज 5 से 10 दिन दे सकते हैं । मरीज की हालत स्थिर हो तो गोली दें । खून पतला करने की दवाएं - प्रोफिलैक्टिक अनफ्रेक्शनेटेड हेपरिन या लो मॉलिक्यूलर वेट हेपरिन की पारंपरिक डोज ( वेट आधार एनॉक्सआपरिन 0.5 एमजी प्रति किलोग्राम प्रतिदिन ) । - निगरानी . सांस पर निगरानी रखें , रक्त प्रवाह का ध्यान रखें , ऑक्सीजन की जरूरत पर भी निगरानी रखें - हालत बिगड़े तो सीने का एचआर सीटी स्कैन करवाएं । -लैव में सीपीआर और डी - डिमर 48 से 72 घंटे , सीबीसी , केएफटी , एलएफटी 24 से 48 घंटे , आई एल 6 लेवल , अगर हालत बिगड़ रही है । लगे तो तय 

गंभीर मरीज लक्षण : सांस प्रति मिनट 30 पर पहुंचने , सांस में दिक्कत हो , एसपीओ 2 लेवल 90 % से कम हो - क्या करें : मरीज को आईसीयू में एडमिट करें सांस संबंधी सावधानी - अगर ऑक्सीजन स्तर कम है तो एनआईवी दें । - एचएफइनसी के उपयोग पर भी विचार करें । मरीज को सांस लेने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही है तो इनट्यूवेशन पर विचार करें । - पारंपरिक एआरडीएसनेट प्रोटोकॉल का वेंटिलेटरी मैनेजमेंट में उपयोग करें । बुखार घटाने और प्रतिरक्षा बढ़ाने के उपाय करें - इंजेक्शन मिथाइलप्रीडेनिसोलोन 1 से 2 एमजी आईवी प्रति किग्रा दो डोज़ में बांट कर या डेक्सामेथासन की बराबर डोज 5 से 10 दिन दे सकते हैं खून पतला करने की दवाएं - वजन के अनुसार प्रोफिलैक्टिक अनफ्रेक्शनेटेड हेपरिन या लो मॉलिक्यूलर वेट हेपरिन की इंटरमीडिएट डोज । इस दौरान मरीज में रोडिंग का हाई रेस या कंट्राइंडिकेशन नहीं हो । सपोर्ट के लिए कदम - शरीर में खून की प्रयाप्त मात्रा हो , फ्लुइड रिस्पांस जांचें । - सेप्सिस या सैष्टिक शॉक हो तो लोकल एन्टीवायोग्राम के तहत प्रबंधन करें । निगरानी - सीएक्सआर ; सीने का एचआरसीटी करें । लैब में सीपीआर और डी - डिमर 48 से 72 घंटे सीबीसी , केएफटी , एलएफटी 24 से 48 घंटे , आई एल 6 लेवल करें अगर हालत बिगड़ रही है । 


ज्यादा जोखिम वाले मरीज यानी . जिनकी उम्र 60 से अधिक है - लो हाइपरटेंशन या अन्य रोगों से ग्रस्त हों । जो लोग डायबिटीज या इम्युनो कम्प्रोमाइज्ड हालात में है - जो किडनी या लिवर की बीमारी से जूझ रहे हैं - मोटापे से पीड़ित हैं ।

दवा और थेरैपी रेमडेसिविर

इन्हीं मरीजों में करें उपयोग . मरीज मध्यम श्रेणी का हो और ऑक्सीजन सप्लीमेंट की आवश्यकता पड़ रही हो । .उसमें किडनी या लिवर में दिक्कत न हो । - जो लक्षण शुरू होने के 10 दिन के भीतर आया हो । - जो मरीज घर पर हो या ऑक्सीजन के सपोर्ट पर हो उसे यह देने की आवश्यकता नहीं है । - डोज : पहले दिन आईवी के जरिए 200 एमजी , अगले 4 दिन आइवी के जरिए 100 एमजी ।

टॉस्सिलिजूमैव अगर रोग गंभीर हो

मरीज में इस श्रेणी के लक्षण 24 से 48 घंटे में शुरू हुए हैं । - स्टेरॉयड देने के बावजूद सुधार नहीं । - बैक्टीरियल , फंगल या टीबी संक्रमण न हो । - डोज : 4 से 6 एमजी मरीज के प्रति किलो वजन के अनुसार दे सकते हैं । कन्वर्सेट प्लाजमा - रोग मध्यम श्रेणी का हो और लक्षण 7 दिन के भीतर आए हो । - ज्यादा एंटीबॉडी वाला प्लाज्मा उपलब्ध हो ।

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