कृप्टो करेंसी का बुलबुला ? kripto curency क कोई खरीद फरोख्त कि कोई आधिकारिक प्रणाली नहीं है। और न ही आभासी मुद्रा के डूबनेे पर क्षतिपूर्ति की व्यवस्था है। फिर भी, जैसा कि हाल में देखा गया, लोगो ने इसे जल्दी अमीर बनने की किसी योजना जैसा समझ लिया जहा काम समय में अताधिक लाभ मिल जाता है।
आ भासी या क्रिप्टो मुद्रा विटक्वाइन इन दिनों निवेश की दुनिया में चर्चा में है । पिछले कुछ समय से विटक्वाइन की कीमत आसमान छू रही थी । लेकिन बुधवार को इसमें करीब 30 फीसदी की गिरावट आई । ऐसे में , यह पूछा जा रहा है कि बिटक्वाइन समेत दूसरी क्रिप्टो करेंसी का बुलबुला क्या फूट गया है ? क्रिप्टो करेंसीज को ऑनलाइन खरीदा - बेचा जाता है । चूंकि नोट सरकार छापती है और मुद्रा का मूल्य उठता - गिरता रहता है , इसी को देखते हुए इस डिजिटल मुद्रा की शुरुआत 2009 में की गई , जो किसी सरकार के अधीन नहीं है । बिटक्वाइन की खरीद - फरोख्त की कोई आधिकारिक व्यवस्था भी नहीं है । भारत में लाखों लोग इसमें निवेशक हैं , जिनमें मध्यम आयवर्ग के युवा भी शामिल हैं । देश में कई एक्सचेंज हैं , जिन्हें पैसे देने पर वे बिटक्वाइन का स्वामित्व या इसमें व्यापार की अनुमति देते हैं । बिटक्वाइन की जब शुरुआत हुई , तो लोगों को इसके बारे में ज्यादा समझ नहीं थी और इसका मूल्य भी कम था । पर पिछले साल जब लॉकडाउन हुआ और सरकारों ने कई तरह के प्रोत्साहन दिए , तब यूरोप , अमेरिका कोरिया , जापान और चीन में अनेक नए ऑनलाइन निवेशक बाजार में उतरे । चूंकि इन्हें सरकार से आर्थिक मदद मिल रही थी , ऐसे में , लोग इसे उन पैसों से खरीदने लग गए । क्रिप्टो मुद्रा पारदर्शी नहीं है । पता नहीं कि इसके पीछे किसका स्वामित्व है । कई बार ज्यादातर मुद्रा कुछ लोगों द्वारा इकट्ठा कर ली जाती हैं । भारतीय स्टॉक एक्सचेंज में निवेशकों के लिए निवेशक सुरक्षा निधि होती है । यदि निवेशक का पैसा डूब जाता है , तो एक्सचेंज उसकी क्षतिपूर्ति करवाता है , सेवी इसका विनियमन करता है । पर डिजिटल मुद्रा का किसी एक्सचेंज के साथ कोई विनियमन नहीं है । ऐसे में यदि आपका पैसा डूब जाए , तो कोई जवाबदेही नहीं है । इसी कारण रिजर्व बैंक ने करीब दो साल पहले एक सर्कुलर जारी कर क्रिप्टो करेंसी कारोबार को प्रतिबंधित कर दिया था । केंद्रीय बैंक ने कहा था कि कोई भी बैंक या गैर - बैंक वित्तीय संस्थान ( एनबीएफसी ) बिटक्वाइन या क्रिप्टो करेंसी को सहूलियत प्रदान
नहीं करेगा । पर तब एक्सचेंज्स ने सर्वोच्च न्यायालय में जाकर स्टे ले लिया । केंद्र सरकार ने इस बार बजट में कहा कि रिजर्व बैंक अपनी डिजिटल मुद्रा निकालेगा , जबकि अन्य तरह की क्रिप्टो करेंसी भारत में प्रतिबंधित रहेंगी । हालांकि वित्तमंत्री ने कहा कि निवेशकों को कुछ समय दिया जाएगा , ताकि वे अपनी क्रिप्टो मुद्राएं निकाल सकें । हाल ही में सरकार ने यह भी कहा कि क्रिप्टो करेंसी पर एक कमेटी संगठित की जाएगी , जो सभी पहलुओं पर विचार करेगी । क्रिप्टो करेंसी की चुनौतियां भी कम नहीं हैं । हाल ही में साइबर अपराध से जुड़े गैंग डार्कसाइड ने अमेरिकी ईंधन कंपनी कॉलोनियल पाइपलाइन का सिस्टम हैक कर उसे बंद कर दिया था , जिससे उसकी सेवाएं बाधित हो गईं । अनेक रिपोर्टों में बताया गया कि हैकर्स ने 50 लाख डॉलर की फिरौती वसूल की । इस तरह कई कंपनियों के कंप्यूटर हैक कर उन्होंने करीब नब्बे लाख डॉलर इकट्ठा किए । एफबीआई हैकर्स के पीछे लगा है और उनके वॉलेट से 50 लाख डॉलर पकड़े हैं । हैकर्स , आतंकवादी , ड्रग पैडलर , अंडरवर्ल्ड और मनी लॉन्ड्रिंग करने वालों के लिए डिजिटल मुद्रा में वसूली करना आसान है । अपने स्मार्टफोन से वे पूरी दुनिया में कहीं भी पैसे ल - दे सकते हैं । कोई भी सरकार इसकी शिनाख्त नहीं कर सकती । क्रिप्टो करेंसी के साथ एक समस्या है कि इसकी कीमत कैसे तय हो ? जैसे सोना है , तो उसके गहने और सिक्के हैं । जबकि क्रिप्टो मुद्रा तो कंप्यूटर में लिखा एक कोड है । यदि उसे आप तोड़ते ( बिटक्वाइन माइनिंग ) हैं , तो अत्याधिक बिजली की खपत होती है । इसी कारण कुछ वर्ष पहले चीन ने बिटक्वाइन माइनिंग को प्रतिबंधित कर दिया ।
वर्तमान समस्या बिटक्वाइन ट्रेडिंग की है । लोगों ने इसे जल्दी अमीर बनने की योजना जैसा समझ लिया है , जहां बेहद कम समय में अत्यधिक लाभ मिल जाता है । ऐसे में , पहले जिसको लाभ मिल गया , उसका ठीक है , वाद में कोई इसे होल्ड करके बैठ गया , तो लाभ शून्य होगा । कई देशों की सरकारों और राष्ट्रीय बैंक जनता को चेता चुके हैं कि आभासी मुद्रा किसी सरकार के अधिनियम के तहत नहीं है । फिर भी लालचवश लोग इसमें जा रहे हैं और काफी लोग इसका अनुचित लाभ उठा रहे हैं । अभी पिछले सप्ताह सोमवार को इंटरनेट कंप्यूटर के नाम से एक नया क्वाइन ईजाद हुआ । एक दिन दिन वह 45 अरब डॉलर का हो गया । अब किसी को नहीं पता है कि किसने वह क्वाइन ईजाद किया , उसके पीछे क्या है । बस एक फॉर्मूला लिखा कंप्यूटर पर और ट्रेडिंग होने लगी । जिसने ईजाद किया , उसके पैसे बन गए , वह निकालकर भाग जाएगा । और लोग अपनी कमाई डाल रहे हैं , एक सपने के पीछे , वह सपना कब ओझल हो जाए पता नहीं । बीते फरवरी में बिटक्वाइन लगभग 10 खरब डॉलर के मार्केट कैप का हो गया था । इनके पास कोई कैश फ्लो नहीं है , रिजर्व नहीं है , केवल लालचवश यह चल रहा है । जब भय आ जाएगा , दुकान बंद हो जाएगी , जो अंत में बचेगा , वह सब कुछ गंवाएगा । पिछले चार महीने में देखें , तो फरवरी में 65 हजार डॉलर के साथ यह शिखर पर पहुंचा , जबकि अब यह करीब 40 हजार डॉलर पर आ गया । इसमें लाखों लोग लालचवश घुसे होंगे , इससे उन्हें चालीस - पचास फीसदी की हानि हुई होगी । अगर बहुत सारे लोग एक साथ इसे वेचने आ जाते हैं , तो इसका मूल्य खत्म होने लगता है । बुधवार को अमेरिका और भारत में क्रिप्टो एक्सचेंज बंद पड़ गए । एक्सचेंज बोले , बहुत सारे लोग इकट्ठे आ गए । लोगों में भय आ गया कि वे अपने पैसे और क्रिप्टो क्वाइन दोनों एक्सेस नहीं कर पाएंगे । अनेक प्रतिबंधों और नियमन के बावजूद लोग ये मुद्राएं खरीद बेच रहे हैं । कुछ बड़ी कंपनियां भी इसमें निवेश कर रही हैं । विगत फरवरी में टेस्ला ने करीब डेढ़ अरब डॉलर की डिजिटल मुद्रा खरीद की । एलन मस्क ने इसके बारे में बहुत बढ़ा - चढ़ा कर बोला । क्रिप्टो करेंसी का कोई विनियमन नहीं है । आपको नहीं पता कि किसके साथ आप डील कर रहे हैं । भारत में आधिकारिक रूप से इसके ट्रेडिंग की अनुमति नहीं है । इस पर टैक्स कैसे लगाया जाए , वह किसी को पता नहीं है । इस बार टैक्स रिटर्न में सरकार पूछ रही है कि यदि आपके पास क्रिप्टो करेंसी है , तो आप इस बारे में बताइए । चीन ने डिजिटल युवान के नाम से आधिकारिक करेंसी निकाली है । यदि भारत से ऐसी ही कोई डिजिटल करेंसी निकलती है , तो यह अच्छा होगा । अभी कोविड की वजह से सरकार क्रिप्टो मुद्रा के लिए अधिनियम नहीं ला पाई है , पर देर - सवेर यह आएगा जरूर ।
लेखक पूर्व सल्हकर निवेश मामलों के विशेष ग है ।
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