British Imperialist Policy

British Imperialist Policy

सहायक संधि
देशी रियासतों के प्रति ब्रिटिश नीति
दलोहोजी की साम्राज्य वादी नीति

(*)सहायक संधि = वैलेजली का मुुुख्य  उद्दाादेश्य 
कंपनी को भारत कि सर्वोच्च शक्ति के रूप में प्रतिष्ठत करना था और इसमें मुख्य वाधा थी फ्रांसीसी का बड़ता प्रभाव 

(*) फलत : ब्रिटिश खेमो को एक ऐसी राजनीतिक प्रणाली कि जरूरत थी जो भारतीय शक्तियों को फ्रांसीसियों से दूर कर सके साथ ही भारतीयों को ब्रिटिश निर्मित शक्तियों का ग्राहक बना सके 

(*) विशेषतया (cheractorstic/provision)
संधि स्वीकार करने वाला देशी राज्य कंपनी कि स्वीकृति के बिना किसी अन्य यूरोपीय या अंग्रेजो के शत्रु राज्य के व्यक्ति को अपने राज्य में नौकरी य शरण नहिं देगा ।

(*) देशी राज्य अपनी विदेश नीति को सुपुर्द कर्डेगा 
वह बिना कंपनी कि अनुमति के किसी अन्य राज्य से युद्ध संधि या मेत्री नहीं कर सकेगा 

(*) देशी राज्यो कि सुरक्षा के लिए कंपनी उन राज्यो में अंग्रेजी सेना रखेगी । सेना के खर्चों के लिए एक वार्षिक धनराशि सुपुर्द करनी होगी । 

(*) देसी रियासते अपने दरबार में एक ब्रिटिश रेजिडेंट रखेगी और उसी के परामर्श से रियासत का शासन प्रबन्ध करेगी 

(*) ब्रिटिश भारतीय नरेशो के आंतरिक शासन में कोई हस्तक्षेप नहीं करेंगे 

अंग्रेज़ उस नरेश कि आंतरिक एवं बाह्य आक्रमण से सुरक्षा करेंगे। 

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