निम्न और मध्यम आय वाले देशों का कहना है कि विश्व व्यापार कानून में अस्थायी बदलाव से ही उनकी सुरक्षा की गारंटी हो सकती है । बाइडन अपने चुनाव अभियान में इस बारे में प्रतिबद्धता जताई थी , पर अभी तक कुछ नहीं हुआ । क्या बाइडन प्रशासन इस पर ध्यान देगा ?
पिछले साल जुलाई में राष्ट्रपति चुनाव के अभियान के दौरान जो बाइडन ने यूनिवर्सल हेल्थ केयर के समर्थक एडी बैरकैन से वादा किया था कि पूरी दुनिया में कोरोना वैक्सीन की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए वह बौद्धिक संपत्ति कानूनों को बाधा नहीं बनने देंगे । ' विश्व स्वास्थ्य संगठन कोविड 19 के इलाज और वैक्सीन की खोज की दिशा में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक अभूतपूर्व वैश्विक प्रयास का नेतृत्व कर रहा है । लेकिन डोनाल्ड ट्रंप ने इस अभियान में शामिल होने से मना कर अमेरिका को शेष दुनिया से अलग - थलग कर दिया है । अगर अमेरिका को सबसे पहले कोरोना की वैक्सीन बनाने में सफलता मिले , तो क्या आप उसकी तकनीक दूसरे देशों से साझा करेंगे ? और क्या आप यह आश्वस्त करेंगे कि दूसरे देशों तथा व्यापक स्तर पर वैक्सीन का उत्पादन करने वाली कंपनियों तक उस तकनीक की पहुंच में पेटेंट कानून बाधक नहीं बनेगा ' , इस मामले में तब स्पष्ट थे । वैक्सीन से बैरकैन ने तब बाइडन से कहा था । बाइडन संबंधित ट्रंप के नजरिये के बारे में उन्होंने कहा था , ' हम जो कुछ कर रहे हैं , वह
मानवीय गरिमा से रहित है । इसलिए मेरा जवाब हां है । दूसरे देशों तक वैक्सीन की तकनीक पहुंचाना अच्छा होगा और वह हमारे हित में भी होगा । ' लेकिन अब जब बाइडन सत्ता में हैं , तब अमेरिका के हित से संबंधित उनकी वह धारणा अभी तक अस्पष्ट है । पिछले साल भारत और दक्षिण अमेरिका ने महामारी का सामना करने के लिए विश्व व्यापार संगठन के अंतरराष्ट्रीय बौद्धिक कानूनों के नियमों से छूट के लिए अनुरोध किया था । लेकिन तब अमेरिका समेत कुछ धनी देशों ने इसका विरोध किया था । हालांकि अगर नियमों में छूट के पक्ष में हैं । इनमें अनेक अमेरिका अपना रुख बदल लेता है , तो दूसरे देश भी उसका अनुसरण करेंगे । ऐसे में , दुनिया अब इंतजार कर रही है कि दुनिया के ज्यादातर देश बौद्धिक संपदा बाइडन इस मामले में क्या फैसला लेते हैं । नोबेल पुरस्कार प्राप्त व्यक्ति तथा ब्रिटेन , कनाडा , कोस्टारिका , फ्रांस , मलावी , नेता शामिल हैं । दस डेमोक्रेटिक सीनेटरों ने न्यूजीलैंड तथा दूसरे अनेक देशों के पूर्व बाइडन से भारत और दक्षिण अफ्रीका का कर लेने के लिए कहा है । अनुरोध मंजूर
लेकिन बौद्धिक संपदा कानून पर ट्रंप कालीन फैसले को नहीं बदला गया है । जबकि हम महामारी के दौर में हैं । फिलहाल उस फैसले को नहीं बदला गया , तो कव बदला जाएगा ? ' . यह मुद्दा शरणार्थियों के मामले से ज्यादा जटिल है । बड़ी फार्मा कंपनियों के इस तर्क को खारिज कर देना बेहद आसान है कि बौद्धिक संपदा कानून को हटाने से नवाचार खत्म हो जाएंगे । यह तथ्य है कि वैक्सीन का उत्पादन भारी मात्रा में सरकारी डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स , पार्टनर्स इन हेल्थ , सब्सिडी के जरिये संभव हुआ है । सीनेटर ह्यूमन राइट्स वॉच और ऑक्सफेम जेन शेकोवस्की भी कहते हैं , ' वैक्सीन इंटरनेशनल सहित ज्यादातर बड़े स्वास्थ्य व उत्पादन में अमेरिकी करदाताओं का भारी मानवाधिकार एनजीओ बौद्धिक संपदा योगदान रहा है । लेकिन बौद्धिक संपदा नियमों में छूट देने के अभियान से जुड़ चुके कानून को न हटाने से संबंधित दूसरे तर्को हैं । वाइडन की अब तक की चुप्पी के संदर्भ को गंभीरता से लेने की जरूरत है । वैक्सीन में हेल्थ ग्लोबल एक्सेस प्रोजेक्ट की विशेषज्ञ डॉ . पीटर हॉटेज बौद्धिक संपदार्ट कार्यकारी निदेशक एशिया रसेल कहती हैं , कानून को हटाने के खिलाफ नहीं हैं , ' मैं समझती हूं कि यह पहला वादा है , जो लेकिन उनका मानना है कि वैक्सीन की तोड़ा गया है । रसेल बाइडन प्रशासन की वैश्विक पहुंच में यह कानून वाधक नहीं है । इस अस्पष्टता की तुलना ट्रंप के दौर में तय वह कहते हैं , ' इस कानून को हटाना एक की गई शरणार्थियों की संख्या पर बाइडन मुद्दा जरूर है , लेकिन यह सबसे बड़ा प्रशासन के रुख से करती हैं , ' ट्रंप के समय मुद्दा नहीं है । अगर आप आज पेटेंट से की शरणार्थी नीति को पलट दिया गया है , संबंधित तमाम प्रतिबंध हटा देते हैं , तो भी महामारी से निपटने में इससे बहुत फर्क नहीं पड़ेगा , क्योंकि सबसे बड़ी समस्या तकनीक है । उनके मुताबिक , सभी देशों को वैक्सीन का फॉर्मूला देना काफी इसलिए नहीं होगा , क्योंकि वैक्सीन पर काम करने वाले लोग उतने प्रशिक्षित होंगे , इसकी गारंटी नहीं है । हॉटेज कम लागत की और आसानी से तैयार होने वाली एक वैक्सीन के एक अरब डोज के उत्पादन के लिए भारत की एक कंपनी के साथ काम कर रहे हैं । ' नई तकनीकों वाली वैक्सीन का उत्पादन करना बहुत सुखद अनुभव है , और इसमें नवाचार भी है , लेकिन अचानक बहुत तेजी से , वैक्सीन के पांच अरब डोज तैयार कर लेना बहुत कठिन है ' , वह कहते हैं । फिलहाल व्यापक स्तर पर किए गए टीकाकरण ने अमेरिकियों को एक वर्ष व्यापी आतंक से मुक्त कर दिया है , जबकि कोविड की नई लहर ने भारत और ब्राजील में तबाही मचा रखी है । निम्न और मध्यम आय वाले देशों का कहना है कि विश्व व्यापार कानून में अस्थायी बदलाव से ही उनकी सुरक्षा की गारंटी हो सकती है । क्या बाइडन प्रशासन इस पर ध्यान देगा ?
The New York Times
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