जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए बाइडन ने जो महत्वाकांक्षी ढांचागत सुधार योजना तैयार की है , वैसी अब तक किसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने नहीं की । लेकिन जलवायु परिवर्तन से निपटने के किसी भी साहसी प्रस्ताव को अमेरिका की मौजूदा राजनीतिक व्यवस्था से शायद ही हरी झंडी मिले । और हमारी राजनीतिक व्यवस्था जिस प्रस्ताव को हरी झंडी देगी , वह मौजूदा चुनौतियों से निपटने में शायद ही सक्षम हो । इसलिए मैं खुद बाइडन की इस योजना के कार्यरुप लेने के प्रति बहुत आशान्वित नहीं हूं ।
जलवायु परिवर्तन से संबंधित जो बाइडन की नई योजना किसी भी अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा पेश की गई अब तक की सबसे महत्वाकांक्षी योजना है । विगत बृहस्पतिवार को बाइडन ने 20 खरब डॉलर की यह योजना पेश की । इसके बावजूद यह योजना वर्ष 2009 में बराक ओबामा द्वारा जारी किए गए स्टिमुलस पैकेज से कमतर है , जिसमें स्वच्छ ऊर्जा में निवेश के लिए नौ अरब डॉलर का प्रावधान था । बाइडन इतनी राशि तो सिर्फ सार्वजनिक परिवहन पर खर्च करेंगे । उन्होंने इलेक्ट्रिक वाहनों , रेल पटरियों को सुधारने , आवश्यक सेवाओं को प्रतिकूल मौसम का सामना कर पाने के काबिल बनाने के लिए और जलवायु संबंधित शोध और विकास के लिए भारी - भरकम फंड का प्रावधान किया है । बाइडन की यह योजना इतनी महत्वाकांक्षी है कि व्हाइट हाउस ने इस योजना का जो पूरा खाका खींचा है , मेरे कंप्यूटर पर उसका प्रिंट आउट 27 पृष्ठों में आया है और इसमें अरब शब्द 69 बार आया है । होम केयर वर्कर्स के लिए 40 अरब डॉलर का , मैन्यूफैक्चरर्स के लिए 30 अरब डॉलर का , कार्य बल विकास के लिए 10 अरब डॉलर का , तथा इलेक्ट्रिक ग्रिड , वाटर सिस्टम्स और ब्रॉडबैंडस के लिए 10-10 अरब डॉलर का प्रावधान है । अगर यह प्रस्ताव इसके मौजूदा स्वरूप में अमेरिकी कांग्रेस से पारित हो जाता है , तो जलवायु परिवर्तन से निपटने तथा बुनियादी अमेरिकी सेवाओं का स्तर सुधारने की दिशा में पहली बार इतना भारी खर्च किया जाएगा । अलबत्ता इस योजना के बरक्स हमारी शर्मिंदगी भरी राजनीतिक स्थिति पर भी विचार किया जाना चाहिए । इसीलिए कहता हूं कि यह योजना जितनी विराट दिखाई देती है , वस्तुतः उतनी बड़ी है नहीं । लिहाजा उम्मीद पैदा करने के विपरीत बाइडन के प्रस्ताव की यह विशालता उन सभी को उदास करती है , जो इस नष्ट होते ब्रह्मांड को बेहतर तरीके से जीने लायक बनाना चाहते हैं । वास्तविकता यह है कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के किसी भी साहसी प्रस्ताव को अमेरिका की मौजूदा राजनीतिक व्यवस्था से शायद ही हरी झंडी मिले । और हमारी राजनीतिक व्यवस्था जिस प्रस्ताव को हरी झंडी देगी , वह जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में शायद ही सक्षम हो । रूजवेल्ट इंस्टीट्यूट ने 2019 में एक आकलन किया था कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था
को पूरी तरह कार्बन मुक्त बनाने के लिए दस वर्ष तक सालाना 10 खरब डॉलर के निवेश की जरूरत है , जलवायु परिवर्तन से संबंधित कुछ दूसरे अध्ययनों में भी कमोबेश यही कहा गया है । जितना निवेश किया जाना है , उसका एक हिस्सा निजी क्षेत्र से आएगा , जबकि ज्यादातर खर्च सरकार को करना पड़ेगा । रूजवेल्ट इंस्टीट्यूट ने जो आकलन किया है , बाइडन की योजना में उसका पांचवां हिस्सा ही निवेश करने का प्रावधान है । रिपब्लिकन्स ने पहले से ही बाइडन की योजना पर सहमति जताने में अनिच्छा व्यक्त की है , दरअसल वे टैक्स में किसी भी तरह की बढ़ोतरी के खिलाफ हैं । पिछले महीने डेमोक्रेट्स ने 19 खरब डॉलर की कोविछ रिकवरी योजना को मंजूरी दी , और अब सड़कों जलबायु परिवर्तन से निपटने के लिए पहले ढांचागत सुधारों की योजना से मतदाताओं में यह बेहतर संदेश ही जाएगा । लेकिन विभिन्न में समूहों से जुड़े डेमोक्रेट्स बाइडन की जलवायु परिवर्तन योजना में पहले से ही बदलावों की मांग कर रहे हैं और सत्तारूढ़ पार्टी के पास इसकी अनदेखी करने की ज्यादा गुंजाइश नहीं है । । ऐसा नहीं है कि अमेरिकी कांग्रेस में सिर्फ बाइडन की जलवायु परिवर्तन योजना की ही नुक्ताचीनी की जाएगी । बाइडन ने ढांचागत सुधार के लिए सार्वजनिक साधनों के इस्तेमाल तथा पर्यावरण अनुकूल परिवहन प्रणाली की जैसी वकालत की है , उस पर मैंने विस्तार से विचार किया । अमेरिकी कांग्रेस बाइडन के साहसी प्रस्ताव को स्वीकारने के प्रति अनिच्छुक है , खासकर वह बाइडन के इस विचार से सहमत नहीं है कि अमेरिकी समाज व्यक्तिगत कारों पर बहुत अधिक निर्भर है और यह व्यवस्था बदलनी चाहिए । हालांकि बाइडन के प्रस्ताव में कुछ बहुत अच्छी चीजें भी हैं । जैसे कि इसमें सड़कों और पुलों के लिए 11.5 अरब डॉलर का ***** mean
प्रावधान किया गया है । योजना के तहत सड़कों के विस्तार या नई सड़क बनाने से पहले पुरानी सड़कों की मरम्मत की जाएगी । यह बहुत जरूरी पहल है , क्योंकि अमेरिका में हर पांच मील में एक मील तक सड़कों की हालत खस्ता है । ऐसे ही सड़क सुरक्षा के मद में दो अरब डॉलर रखे गए हैं , और इसमें भी पैदल चलने वालों और साइकिल सवारों की सुरक्षा पर पूरा जोर है । नस्ली भेदभाव खत्म करने के लिए प्रावधान किया गया है कि अश्वेत आबादियों के पास से हाइवे निर्माण का पहले से चला आ रहा सिलसिला बंद किया जाएगा । पर मुश्किल यह है कि बाइडन की यह योजना अभी सिर्फ कागज पर है , इसने लिखित विधेयक का रूप नहीं लिया है । ऐसे में , अगर यह योजना कार्यरूप नहीं लेती , तो खुद मुझे बहुत क्षोभ होगा । लेकिन चाहे जिस भी तरह से इस पर अमल हो , उसमें भी अभी महीनों लगेंगे और तब तक इसके प्रति लोगों की रुचि खत्म हो जाएगी । दरअसल पर्यावरण के मोर्चे पर बदतर स्थिति होने के बावजूद हमारी राजनीति का जो स्तर है , उसे देखते हुए बाइडन की इस योजना के कार्यरूप लेने के प्रति खुद मैं बहुत आशान्वित नहीं हूं ।
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