हनुमान, जयंती
* वर्तमान समय में अगर कोई व्यक्ति अपने जीवन में साहस और ताकत पाने की इच्छा रखते है तो उसे भगवान हनुमान की आराधना करने की सलाह दी जाती हैl इसका कारण यह है कि हिन्दू पौराणिक कथाओं में हनुमानजी को सबसे अधिक बलशाली और ताकतवर देवता कहा गया है
* हिन्दू पौराणिक कथाओं में हनुमानजी को सबसे अधिक बलशाली और ताकतवर देवता कहा गया है
* बजरंगबली, पवन पुत्र, अंजनी पुत्र, राम भक्त, ऐसे ही कई नामों से पुकारा जाता है हनुमान जी को
* कुछ लोगों का मानना है कि हनुमानजी आज भी पृथ्वी पर विराजमान है
* हनुमानजी के पांच सगे भाई भी थे इस बात का उल्लेख “ब्रह्मांडपुराण” में किया गया
* हनुमान जी सभी भाइयो में सबसे बड़े थे मतिमान, श्रुतिमान, केतुमान, गतिमान और धृतिमान ये हनुमान जी के भाइयो के नाम है
* पवनपुत्र हनुमान भगवान शिव के अवतार थे
* हनुमान जी के माँ अंजना भगवान शिव की भक्त थी भगवान शिव जी ने उनकी पूजा से प्रसन्न उनके पुत्र के रूप में जन्म लेने का वरदान दिया था
* संस्कृत में “हनुमान” का अर्थ “विकृत जबड़ा”
* हनुमानजी का बचपन का नाम “मारूति” था
* एक बार बालक मारूति ने भगवान सूर्य को फल समझकर खा लिया था, जिससे पूरे संसार में अँधेरा छा गया था
* क्रोधित इन्द्र ने बालक मारूति पर वज्र से प्रहार किया, जिससे उनका जबड़ा टूट गया और वह मूर्छित हो गए इसी घटना के बाद से बालक मारूति “हनुमान” के नाम से प्रसिद्ध हुए
* आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि ब्रह्मचारी होने के बावजूद हनुमानजी एक पुत्र के पिता थे
* हनुमानजी के पुत्र का नाम “मकरध्वज” था और उसका जन्म एक मछली के पेट से हुआ था
* जब हनुमानजी ने पूरे लंका को जलाने के बाद अपनी पूंछ और अपने शरीर को ठंडा करने के लिए समुद्र में डुबकी लगाई तो उनके शरीर से निकले पसीने को एक मछली निगल गई बाद में उसी मछली के परत से मकरध्वज का जन्म हुआ
* लंका विजय और भगवान राम के राज्याभिषेक के बाद हनुमानजी हिमालय पर्वत पर चले गए और हिमालय की दीवारों पर राम की कहानी को अपने नाखूनों से उकेराl जब महर्षि वाल्मीकि अपने द्वारा रचित रामायण को दिखाने के लिए हनुमानजी के पास गए तो उन्होंने दीवारों को वर्णित रामायण को देखकर उदास हो गएl क्योंकि वाल्मीकि का मानना था कि हनुमान जी द्वारा रचित रामायण श्रेष्ठ है और उनके द्वारा रचित रामायण की ओर किसी का ध्यान नहीं जाएगाl हनुमानजी ने जब वाल्मीकि को उदास देखा तो वह उनकी समस्या समझ गए और उन्होंने अपने द्वारा रचित रामायण को मिटा दिया
* हनुमानजी का जन्म पवनदेव की कृपा से हुआ थाl लेकिन क्या आपको पता है कि “भीम” का जन्म भी पवनदेव की कृपा से ही हुआ था? जब महाराज पांडु अपनी पत्नी कुंती और माद्री के साथ वन में रह रहे थे तो उसी समय महारानी कुंती ने पुत्र प्राप्ति की इच्छा से पवनदेव की आराधना की थी जिसके परिणामसवरूप “भीम” का जन्म हुआ थाl इस प्रकार हनुमानजी और “भीम” दोनों भाई थे
* भगवान राम जानते थे कि परम भक्त हनुमान के रहते यमराज उन्हें नहीं ले जा सकते इसीलिए उन्होंने अपने अंगूठी को पाताल लोक में गिरा दिया और हनुमानजी को उसे ढूंढ़कर लाने का आदेश दिया इसी बीच भगवान राम ने सरयू नदी में डूबकी लगाकर अपने मनुष्यरूपी शरीर का त्याग किया
* भगवान राम के राज्याभिषेक के बाद देवी सीता ने सभी लोगों को उपहार दिया था इसी क्रम में उन्होंने हनुमानजी को एक खूबसूरत मोती का हार उपहार स्वरूप प्रदान किया हनुमानजी ने उस हार के हरेक मोती को तोड़कर उसमें भगवान राम की छवि खोजने लगे लेकिन जब उन्हें उस हार में भगवान राम के दर्शन नहीं हुए तो उन्होंने उस हार को अस्वीकार करते हुए कहा कि जिस वस्तु में भगवान राम की छवि न हो वह मुझे अस्वीकार्य है
* उन्होंने अपनी छाती फाड़कर लोगों को दिखाया कि उनके छाती में भी भगवान राम बसते हैं
* सीता माँ की मांग में सिंदूर देख हनुमान जी ने अपने पुरे शरीर पर सिंदूर लगा लिया था ताकि श्री राम की उम्र लम्बी हो जाये
* सिंदूर को बजरंग कहा जाता है यही कारण है कि हनुमान जी को लोग बजरंगबली कहने लग गए और उनकी पूजा में भी सिंदूर चढ़ाया जाता है
* एक बार नारद के कहने पर हनुमानजी ने विश्वामित्र को छोड़कर सभी संतों का स्वागत किया, क्योंकि विश्वामित्र भी किसी समय एक बार राजा थेl इस बात से विश्वामित्र काफी नाराज हुए और उन्होंने भगवान राम से हनुमानजी को मृत्युदंड देने के लिए कहाl चूंकि विष्णमित्र भगवान राम के गुरू थे अतः वे उनके आदेश को टाल नहीं सके और हनुमानजी पर वाणों की बौछार कर दीl अपने तरफ वाणों को आता देखकर हनुमानजी राम नाम का जाप करने लगे, जिसके कारण सभी वाण लौट गएl यह देखकर भगवान राम ने ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया, लेकिन ब्रह्मास्त्र भी ध्यानमग्न हनुमानजी की प्रदक्षिणा कर वापस लौट गयाl यह देखकर भगवान राम ने हनुमानजी को मृत्युदंड का विचार त्याग दिया
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