भारत में अंग्रेजी शासन कि स्थापना

देशी राज्यो कि सुरक्षा के लिए एक कंपनी उन राज्यो में अंग्रेजी सेना रखेगी सेना के खर्च के लिए नकद वार्षिक धनराशि सुपुर्द करना होगा ।

देशी रियासतों अपने दरबार में एक ब्रिटिश रेजिडेंट रखेगी और उसी के परामर्श से रियासत का शासन प प्रबंधन करेगी ।
कंपनी उस नरेश कि आंतरिक एवं बाह्य आक्रमण से सुरक्षा करिगी 


Effects
सकारात्मक ( कंपनी संधि के दृष्टि कोण से)
फ्रांसीसी ओ का प्रभाव भारतीय नारेशो के राज्यो से पूर्णत समाप्त हो गया क्यकी वहा अब उन्हें नौकरी करने का अवसर प्राप्त नहीं था ।
सभी देशी राज्यो को निशस्त्र एवं 
एक दूसरे से प्रथक कर दिया गया क्युकी उनकी विदेश नीति अंग्रेजो के हातो में चली गई । फलत वे अंग्रेजो के विरूद्ध संघ या गुट बनाने से वंचित हो गए ।
इससे अंग्रेजो को एक एक करके अपने सभी विरोधी नरेश को समाप्त करने कि सुविधा मिली ।

Early Structure of British Raj  and Administrative Organization

वस्तुत : कंपनी शासन के दौरान प्रशासन के तीन महत्वपूर्ण केंद्र थे 
ब्रिटिश सरकार द्वारा नियंत्रित बोर्ड ऑफ कंट्रोल भारत का गवर्नर जनरल
कंपनी के संघ चालक यानि कोर्ट ऑफ डायरेक्टर्स 
भारत में ब्रिटिश तीन अंगो पर टिका हुआ था
सिविल सेवा, सेना और पुलिस 
इस प्रशासनिक स्मरचना के विकाश का करण था 
कानून और व्यवस्था को बनाए रखना तथा ब्रिटिश सेना को बनाए रखना और ब्रिटिश शासन को बनाए रखना ।
कानून और व्यवस्था के अभाव में ब्रिटिश सौदागर व विनिर्माता अपनी वस्तुओं को भारत के कोने कोने 
बेचने कि नीव नहीं रखना चाहते थे।

ब्रिटिश होने के कारण अंग्रेज़ भारतीय जनता का स्नेह पाने की आशा नहीं कर सकते थे इसलिए भारत पर अंग्रेजो ने अपना नियंत्रण बनाए रखने के लिए जन समर्थन कि बजाए शक्ति का सहारा लिया। 



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