विजय नगर तथा बेहमनी साम्राज्य

विजय नगर तथा बेहमनी साम्राज्य 
शासक देवराय प्रथम 
विदेशी यात्री निकोलोकोंटी 
देवराय द्वितीय। 
विदेशी यात्री 
फारसी राजदूत अब्दुर्रज्जाक 
मल्लिकार्जुन 
विदेशी यात्री 
चीनी यात्री महायान 
शासक
कृष्ण देवराय
विदेशी यात्री 
फैड्रलुई,demingo, पायारा, बर्बोस, (पुर्तगाली)
शासक
अच्युत देवराय 
विदेशी यात्री
नूनिज (पुर्तगाली)

Aarividu वंश (1570-1650 ई o)
संस्थापक = तिरुमल
राजधानी पेनुगोंडा को माना जाता है।
इनकी द्वितीय राजधानी चंद्रगिरी को माना जाता है (1586 ई o) में अंतिम शासक 

प्रशासन व्यवस्था एवं अर्थव्यवस्था एवं समाज 

प्रांत = कोट्टम या वालनादू (जिला) = नाडु ( मेलग्रम )

50 ग्रामों का समूह = उर ग्राम केह लाता था।
केंद्र का मुख्य अधिकारी उर ग्राम माना जाता था।
कदम माप क्रसिक्र होती थी ।
तध वली चराह गाह कर होता था।
केडा कासू पशु कर होता था।
दायम चुंगी कर होता था।
कढ़ाई वरी व्यवसाय कर होता था।
आयकर व्यवस्था वास्तविक शक्ति होती थी 12 ग्रामीण अधिकारियों के हात ओ में पद वंशानुगत होता था।

विशेष भूखंड अमरम भूसमंत
 को दिए जाने वाली जमीन होती थी 
कत्तगी भूमि ब्राह्मणों मंदिरों एवं भूस्वामियों द्वारा किसान को पट्टे पर दी गई जमीन होती थी।

स्टकोड़ग युद्ध में वीरता का प्रदर्शन करने वाले व्यक्ति होते थे।
भंदर्वाद भूमि यह राजकीय भूमि होती थी ।
राज्यपाल दण्डनायक होता था।
बालविवाह बहू विवाह सती प्रथा दहेज प्रथा दास प्रथा प्रचलित थी।
खरीदे गए दास बेस्वग होते थे ।
आए का बड़ा स्रोत लगान होता था ।
निपुण दस्तकार वीर पंजाल होते थे।
बड़वा उत्तर भारत से दक्षिण भारत में बसे लोग होते थे।
मंदिरों में रहने वाली स्त्री देवदासी होती थी।

विजय नगर कालीन मुद्रा 
सिक्का 
वराह 
भार 
60 ग्रेन (स्वर्ण सिक्का ) 
सिका 
प्रताप तथा फनम 
भार 
26 ग्रेन (स्वर्ण सिक्का)
सिक्का 
प्रताप या चोथाई तार 
भार 
1/6 ग्राम चांदी का सिक्का 
प्रताप तथा फनम 

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