सिख धर्म गुरु और उनके कार्य

Guru Gobind Singh ([gʊɾuː goːbɪn̯d̯ᵊ sɪ́ŋgᵊ])(22 December 1666 – 7 October 1708),[2][7] born Gobind Rai, was the tenth Sikh Guru, a spiritual master, warrior, poet and philosopher. When his father, Guru Tegh Bahadur, was beheaded for refusing to convert to Islam,[8][9] Guru Gobind Singh was formally installed as the leader of the Sikhs at age nine, becoming the tenth Sikh Guru.[10] His four sons died during his lifetime – two in battle, two executed by the Mughal army.[11][12][13]

Guru Gobind Singh
Guru Gobind Singh

Other names
Tenth Nanak[1]
Personal
Born
Gobind Rai
22 December 1666[2]
Patna Sahib (Present day Patna, Bihar, India)
Died
7 October 1708 (aged 41)
Hazur Sahib Nanded (Present day Nanded, Maharashtra)
Cause of death
Assassination by Jamshed Khan and Wasil Beg[5][6]

Religion
Sikhism

Spouse
Mata Jito, Mata Sundari and Mata Sahib Devan[3]

Children
Ajit Singh
Jujhar Singh
Zorawar Singh
Fateh Singh

Parents
Guru Tegh Bahadur
Mata Gujri

Known for
Founding the Khalsa[4]
Wrote the following :

Jaap Sahib,
Chandi di Var,
Tav-Prasad Savaiye,
Zafarnamah,
Bachittar Natak,
Akal Ustat,
Chaupai (Sikhism)
Fought the following Battles :

Battle of Bhangani
Battle of Nadaun
Battle of Guler (1696)
Battle of Anandpur (1700)
Battle of Nirmohgarh (1702)
Battle of Basoli
First Battle of Anandpur (1704)
Second Battle of Anandpur
Battle of Sarsa
First Battle of Chamkaur (1702)
Second Battle of Chamkaur (1704)
Battle of Muktsar

Other names
Tenth Nanak[1]

Religious career

Predecessor

Guru Tegh Bahadur

Successor
Guru Granth Sahib

गुरु गोबिन्द सिंह (जन्म:पौष शुक्ल सप्तमी संवत् 1723 विक्रमी तदनुसार 26 दिसम्बर 1666- मृत्यु 7 अक्टूबर 1708 ) सिखों के दसवें गुरु थे। उनके पिता गुरू तेग बहादुर की मृत्यु के उपरान्त ११ नवम्बर सन १६७५ को वे गुरू बने। वह एक महान योद्धा, कवि, भक्त एवं आध्यात्मिक नेता थे। सन १६९९ में बैसाखी के दिन उन्होने खालसा पन्थ की स्थापना की जो सिखों के इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है।

गुरु गोबिन्द सिंह जी
ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ
Guru Gobind Singh.jpg

जन्म
गोबिन्द राय
26 दिसंबर , 1666
पटना बिहार, भारत

मृत्यु
7 अक्टूबर 1708 (उम्र 42)
नांदेड़, महाराष्ट्र, भारत

पदवी
सिखों के दसवें गुरु
प्रसिद्धि कारण
दसवें सिख गुरु, सिख खालसा सेना के संस्थापक एवं प्रथम सेनापति

पूर्वाधिकारी
गुरु तेग बहादुर

उत्तराधिकारी
गुरु ग्रंथ साहिब

जीवनसाथी
माता जीतो, माता सुंदरी, माता साहिब देवां

बच्चे
अजीत सिंह
जुझार सिंह
जोरावर सिंह
फतेह सिंह
माता-पिता
गुरु तेग बहादुर, माता गूज

➡️🌼सन 1699 ईo में सिख धर्म की स्थापना गुरु गोविंद सिंह की । गुरु गोविन्द सिंह सीखो को पांच वस्तुएं धारण करना जरूरी बताया ।  ये वस्तुएं है 
➡️🏵️(1)केश
➡️🌹(2)कंघा 
➡️🌺(3) कड़ा 
➡️💐(4)कुच्छ 
➡️🌱(5) कपआड़

➡️🌻 गुरु ने अपने सिष्ञीयो से जाती सूचक शब्द छोड़कर प्रत्येक सिख के नाम के साथ सिंह जोड़ना जरूरी समझा 
इस प्रकार सिख संघटित सैनिक बन गए ।
इससे ऑरेंगजें जो दछिड़ में था युद्ध करने का आदेश दे दिया । गुरु अपने साथियों के साथ 6 - 7 वर्ष तक युद्ध करते रहे । इस युद्ध में उनके चार पुत्र मारे गए ।गुरु ने फिर भी साहस और धैर्य  नहीं छोड़ा । अरेंगजेब ने गुरु  कैद  करने। का आदेश दिया लेकिन इसी बीच उसकी मृत्यु हो गई ।गुरु गोविन्द सिंह अपनी अल्प आयु में अनेक कार्य किए । भेदभाव मिटाकर और सीखो को संघटित कर देशवासियों को नई स्फूर्ति और प्रेरणा दी । देश के अमूल्य रत्न थे।  
इनके सिश्य तथा दरबारी इन्हे सच्चे बादशाह कहा करते थे । गुरु गोविन्द सिंह सीखो के आग्रह पर आनंदपुर आ गए को गुरु टेगबहद्दुर की राजधानी थी । यहां 20 वर्ष तक रहकर धर्मग्रंथों का अध्यन किया । ये अच्छे कवि और विचारक थे । इनके द्वारा रचित चंडी चरित्र और चंडी का वार विरस के सुंदर काव्य है । इन्होंने एक पुस्तक भी लिखी विचित्र नाटक जिसके द्वारा लोगो में उत्साह भरने कि चेष्टा की।

सिख धर्म गुरु और उनके कार्य

गुरुकुल
1469-1538

गुरु
गुरुनानक

कार्य
सिख धर्म कि स्थापना

गुरुकाल
1538-1552

गुरु
गुरु अंगेद देव

कार्य
गुरुमुखी लीपी के जनक

गुरकाल
1552-1574

गुरु 
गुरुअमरदास

कार्य
गुरुप्रसर हेतु 22 गद्दियओ कि स्थापना

गुरूकाल
1574-1581

गुरु
रामदास

कार्य
अमत्सर कि स्थापना (1577 )गुरु का पद पैतृक

गुरु काल
1581-1606

गुरु
अर्जुन देव

कार्य 
स्वर्ण मंदिर की नीव रखी गुरु ग्रंथ साहब का संकलन सिखो से उनकी आय का 10% दान के रूप में लेने की प्रथा प्रारम्भ की

गुरु काल
1606-1645

गुरु 
हरगोबिंद सिंह 

कार्य
अकाल तख्त की स्थापना सिखो को लड़ाकू समुदाय में बदला

गुरु काल
1645-1661

गुरु
हर राय

कार्य
उत्तराधिकार(मुगलों) से युद्ध में भाग

गुरु काल
1561-1564

गुरु हरकिशन

कार्य
अल्पायु में ही मृत्यु

गुरु काल
1564-1575

गुरु
तेग बहादुर

कार्य
इस्लाम कबूल न करने के कारण  ओरेंगजेब द्वारा सिर कलम कर दिया गया

गुरु काल
1675-1708

गुरु
गोविन्द सिंह

कार्य
खालसा सेना की स्थापना सिखो के नाम  के अंत में सिंह जोड़ना  आनंदपुर को अपना मुख्यालय बनाया अंतिम गुरु जन्म पटना में।

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