मुगलकालीन शासन प्रशासन व्यवस्था

मुगलकालीन शासन प्रशासन व्यवस्था

मुशरिफ ए मामलिक
सदर उल सुदूर = धर्म एवं दान  विभाग का प्रे्रमुख


काजी उल कजात शुलतान के बाद न्याय का सर्वोच्च अधिकारी होता था।

खजीन कोषाध्यक्ष होता था।
दीवान ए इस्तिहक पेंसन विभाग होता था।
दीवान ए बड़गाग दास विभाग होता था।
दीवान बकफ व्यय की कागजात के देखबाल के लिए होता था।
दीवान ए रसालत विदेशी सम्बन्ध की देखरेख के लिए होता था।
दीवान ए इंशा राजकीय पत्र व्यवहार होता था।
खेत बटाई, लंक बटाई , रास बटाई 
भूमि कि नाप जोख करने के बाद क्षेत्रफल के आधार पर होती थी।
लगान का निर्धारण मसाहत केहलता था।
केंद्र के नियंत्रण में रहने वाली भूमि खालसा केहलती थी।

पहली तुर्क मस्जिद कुव्वत उल इस्लाम 
मकबर का काल लोदी काल 
अमीर खुसरो कि रचनाए = लैला मजनू, देवलारी व खीजरखा, हस्ट, बिहिस,शिरी फरहाद, तारीखे दिल्ली, उल फरयाद ।
रामदरपन का फारसी में अनुवाद मोहॉम्मद तुगलक द्वारा किया गया था।
नियतनामा एक ग्रंथ पाक शास्त्र पर आधारित है।
Shaltanat कालीन चित्रकला का उल्लेख गजनवियों के इतिहास  में देखने को मिलता है।

शलतनत कालीन सिक्के
शासक 
गोरी
देहलिवाल ,सोना, चांदी , मिश्रित धातु 

इल्तुतमिश 
टका ( चांदी), अद ल ( तांबा + चांदी) 
बलबन माशा (चांदी)

मुबारक साह खिलजी ( टका ए अलाई , सोना)
मोहॉमद 
सर्गनी (चांदी)
फिरोजा साह(अधा ,तांबा ),बिख(चांदी)

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