मुगल साम्राज्य, ओरंग जेब
मुगल साम्राज्य
ओरंगजेब का शासनकाल 1658 से 1707 ई तक चला
इसका जन्म 3 नवंबर 1618 ई को उज्जैन दोहन नामक स्थान पर हुआ था।
ओरंगजे ब के गुरु पीर मोहॉम्मद थे।
Orang jeb का विवाह दिलरास बानो से 18 मई 1637 ई को समाप्त होता है।
ओरंगजेब शुन्नी धर्म पर अपना विश्वास रखता था और इसे लोग जिंदा पीर मानते थे।
इसके शासनकाल में नौरोज उत्सव एवं जहरोखा दर्शन समाप्त कर दिया गया था।
ओरंग जेब ने जजिया कर 1679 ई में लगाया था।
और इसने मोहोर्राम पर पाबंद सन 1669 ई में लगाया था।
ओरंग जेब ने बीजापुर को 1686 ई सवी में तथा गोलकुंडा को 1687 ई में जीता था ।
और बीबी के मकबरे का निर्माण ओरंगाबाद में सन 1979 ई में करवाया था।
और ओरंग जेब कि मृत्यु 3 मार्च 1707 ई में हो गई थी।
मुगल शासक प्रशासन एवं अर्थ व्यवस्था
मुगल प्रशासन का मुख्य अधिकारी वकील सम्राट कि जगह पर दीवान, मीर्बक्षी, सूद्र उस सुद्र एवं मीर ए सामा में विभाजित
वजीर प्रधानमंत्री होता था।
मंत्रि परिषद विजारत होती थी।
सैन्य विभाग का प्रमुख अधिकारी मीर बक्षी होता था ।
सदर- उस - सुदूर धार्मिक परामर्श दाता होता था।
प्रधानमंत्री वकील और वित्त मंत्री वजीर अकबर के समय में भि हुआ करते थे।
ब्युतात शाही महल कि देखरेख करने वाला होता था।
तक्षाल अधिकारी दरोगा होता था।
पिलवान हस्ती सेना का प्रमुख होता था।
मंसब्दारी व्यवस्था दसंलब प्रणाली पर आधारित थी।
मंसब दार 10 से 500 तक मनसब प्राप्त करने वाले होते थे।
अमीर ए आजम 2500 से ऊपर मंसब प्राप्त करने वाले
अमीर 500 से 2500 तक मंसब प्राप्त करने वाले।
वेतन और प्रतिष्ठा जात से ज्ञात होती थी।
मीर ए आजम मुगल तोपखाने का प्रमुख अधिकारी होता था।
मीर ए बाहर जल सेना का प्रमुख अधिकारी होता था ।
प्रशासन कि सबसे छोटी इकाई ग्राम(मावदा,या दीह भोराजसव हेतु अपनाई जाने वाली पद्धति राई )
नवीन प्रणाली जब्ती (१५७०-१५७१) ई तक चली
तक्षसिस एवं तहसोल
जींस ए आला नकदी फसले
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