यहूदी धर्म ,ईसाई धर्म की स्वीकृति,यहूदी बोध काल


यहूदी धर्म  

ईसाई धर्म की स्वीकृति

 

ईसाई

अधिकारियों द्वारा तालमुद पर हमलों के कारण और 1306 में फ्रांस  करण यहूदियों के निष्कासन से विवाद का समाधान नहीं हो पाया और रुढ़िवादियों की दो शाखाएँ जैसे-तैसे साथ-साथ चलती रहीं। यूरोप में यहूदियों पर 18वीं शताब्दी में मुक़द मे जारी रहने से स्वधर्म त्याग और ईसाई धर्म स्वीकार करने (मारानिज़्म) के मामले सामने आए और शब्बेताई त्ज़ेवी और जैक़ब फ्रेंक जैसे छद्म-मसीहाई उग्रवादी मतों का उदय हुआ।

यहूदी बोध काल

मध्य और पूर्वी यूरोप में 18वीं शताब्दी 'हसकाला' या यहूदी बोध का काल था। इस अवधि में यहूदियों ने मेसियानी मान्यताओं से हटकर अपने जीवनकाल में इस पृथ्वी पर अपनी या राष्ट्रीय आकांक्षाओं की पूर्ति करना शुरू कर दिया। मोजेज़े मंडिलस्ज़ोन विशेष तौर पर महत्त्वपूर्ण थे, जिनके येरुशलम ने यहूदी धर्म की वैधता और अपने सार्वभौमिक तार्किक धर्म के विश्वास की वकालत की। नफ़ताली हर्ज़ वेसली के साथ मिलकर उन्होंने जर्मन बाइबिल की रचना की, जिसने मध्य यूरोपीय यहूदीवाद को जर्मन संस्कृति में प्रस्तुत किया।

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