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जब व्यक्ति अपने मन के आधीन हो जाता है , तब उसका जीवन ज असंयमित होने लगता है और जिस व्यक्ति ने मन को अपने अधीन कर लिया , उसने संयम से जीना सीख लिया । मन को अपने अधीन करना ही वर्तमान समय में बहुत बड़ी चुनौती है । हमें मन के अनुसार नहीं , बल्कि मन को अपने अनुसार चलाना चाहिए । दुख की बात है कि आज के इस जमाने में हमारे मकान तो पक्के होते चले जा रहे हैं , लेकिन रिश्ते कच्चे होते चले जा रहे हैं । जिससे की आम जीवन में कड़वाहट पैदा होती है और जीवन जीना मुश्किल हो जाता है । ध्यान रहे कि मकान कच्चे हों तो चलेगा , लेकिन रिश्ता सच्चे दिल से होना चाहिए । तभी हमारा मनुष्य जीवन धन्य हो पाएगा । हमने महाराज अक्सर देखा है व्यक्ति कुछ बोल देता है , लेकिन किसी भी शब्द को मुंह से निकालने से पहले अपने अंर्तमन में तोलना चाहिए । हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वाणी का बहुत मोल है । हमने देखा है इतिहास में वाणी के पीछे ही महाभारत तक हो गई । वाणी से बहुत कुछ पाया जा सकता है या खोया भी जा सकता है । वाणी को बिना सोचे समझे बोलने से अनर्थ हो जाता है ।

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