Hindu sahi Rajvansh
Hindu sahi Rajvansh
हिन्दू शाही राजवंश
हिन्दू शाही वंश की स्थापना 9वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में शाही वंश के राजा लगर्तूमान को एक ब्राह्मण मंत्री कल्लर ने गद्दी से उपदस्थ करके की। इसके विषय में कल्हण की राजतरंगिणी से जानकारी मिलती है। इस वंश के शासक ने भी अपनी पुत्री की शादी लोहार वंश के शासक सिंहराज से की, जिन्हें कालान्तर में 'दिद्दा' नाम की लड़की पैदा हुई, जिसका विवाह 'क्षेमेन्द्र गुप्त' से हुआ।
जयपाल इस वंश का योग्य एवं पराक्रमी शासक था। उसके राज्य की सीमायें, सरहिन्द, लमगान, कश्मीर एवं मुल्तान तक फैली थीं।
तुर्क आक्रमणकारी महमूद ग़ज़नवी से हारने के उपरान्त जयपाल ने 1001 ई. में अग्नि में कूद कर आत्महत्या कर ली।
जयपाल के बाद उसके पुत्र आनन्दपाल को भी महमूद ग़ज़नवी ने परास्त किया।
इस प्रकार जयपाल, आनन्दपाल, त्रिलोचनपाल एवं भीमपाल ने लगभग 50 वर्षों तक महमूद ग़ज़नवी से संघर्ष किया।
उत्तरी पश्चिमी भाग में हिन्दू शाही वंश भारत का पहला महत्त्वपूर्ण हिन्दू राज्य था। इसकी राजधानी उद्भांडपुर थी। यह राज्य मुस्लिम आक्रमण का प्रथम शिकार हुआ था।
उड़ीसा के पूर्वी गंग वंश उड़ीसा के पूर्वी गंग वंश के शासक अनंत वर्मा को माना जाता है जगन्नाथ मंदिर तथा भुवनेश्वर भुवनेश्वर मंदिर का निर्माण चोड गंग द्वारा किया गया था और सूर्यवंशीयों को गजपति की उपाधि प्राप्त हुई है।
सेन वंश सेन वंश का संस्थापक सामंत सेन को माना जाता है
सेन वंश सेन वंश की राजधानी नादिया लखनौती में पाई गई है
बल्लाल सेन इस वंश का प्रमुख शासक था बल्लाल सेन ने दान सागर एवं अद्भुत सागर ग्रंथ की रचना की
गीत गोविंद का लेखक जयदेव को माना जाता है और पवन दूत को दुही का लेखक माना जाता है
हलायुद्ध ब्राह्मण सारस्वत हलयुध का लेख माना जाता है जय चन्द्र लक्ष्मण सिंह द्वारा पराजित हुआ सेन वंश के शासन पर बख्तियार खिलजी ने 1202 ईसवी में आक्रमण किया।
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