नई दिल्ली। भारत की संसद अक्सर शोरशराबे और राजनैतिक सरगर्मियों के चलते चर्चा में रहती है। लेकिन जो संसद भवन कितने ही ऐतिहासिक प्रसंगों को अपने भीतर संजोये है उसकी खुद की दास्तां भी बेहद दिलचस्प है। आपके लिए यह जानना बेहद दिलचस्प होगा कि भारतीय संसद की इमारत को दुनिया के बेहतरीन ऑर्किटेक्ट ढांचे के रुप में जाना जाता है।

नई दिल्ली। भारत की संसद अक्सर शोरशराबे और राजनैतिक सरगर्मियों के चलते चर्चा में रहती है। लेकिन जो संसद भवन कितने ही ऐतिहासिक प्रसंगों को अपने भीतर संजोये है उसकी खुद की दास्तां भी बेहद दिलचस्प है। आपके लिए यह जानना बेहद दिलचस्प होगा कि भारतीय संसद की इमारत को दुनिया के बेहतरीन ऑर्किटेक्ट ढांचे के रुप में जाना जाता है।

संसद भवन के निर्माण से लेकर कई ऐसी बातें हैं जिन्हें शायद ही बहुत लोग जानते हों। संसद भवन के जिस सेंट्रल हॉल से कई बड़े-बड़े नेताओं ने अपना ऐतिहासिक बयान दिया वो फिर चाहे नेहरू जी हों या वर्तमान पीएम मोदी हों उसकी भी कहानी भी बेहद रोमांचक है।

संसद की संरचना
संसद भवन की इमारत की संरचना को को सर एडविन लुटियंस और सर हर्बर्ट बेकर ने बनाया था।

83 लाख में बना था संसद भवन
संसद भवन की नींव की पहली ईंट 12 फरवरी 1921 में रखी गयी थी, इसके निर्माण में 6 साल और 83 लाख रुपए का खर्च आया था

सबसे सस्ती कैंटीन
संसद की कैंटीन में महज 12 रुपए मे मिलता है खाना।

सेंट्रल हॉल की मह्त्ता
14-15 अगस्त 1947 से पहले इसी हॉल से यूके से भारत में सत्ता का हस्तांतरण इसी हॉल में होता था।

संसद की लाइब्रेरी भी है खास
संसद की लाइब्रेरी देश की दूसरी सबसे बड़ी लाइब्रेरी है, पहली नेशनल लाइब्रेरी कोलकाता में है।

सेंट्रल हॉल में था देश का सुप्रीम कोर्ट
जी हां आजादी के बाद नयी सुप्रीम कोर्ट की बिल्डिंग बनने तक सेंट्रल हॉल में ही देश का सुप्रीम कोर्ट चलता था।

हाथ से लिखा संविधान सुरक्षित है यहां
संसद की लाइब्रेरी में भारत के संविधान की हिंदी और अग्रेजी में हाथ से लिखी प्रतिलिपि यहां नाइट्रोजन गैस से भरे चैंबर में सुरक्षित रखा गया है।

संसदी भवन की संरचना गोलाकार क्यूं हैं?
संसद की गोलाकर संरचना निरंतरता की प्रती है, यह संरचना यह दर्शाती है यह सत्ता बनी रहेगी और कभी खत्म नहीं होगी।

संसद की पहली मंजिल पर हैं 144 खंभे
जी हां संसद के पहले तल्ले की बालकनी में 144 पिलर्स हैं।

घोड़े के पैर की संरचना पर बने हैं दोनों सदन
जी हां लोकसभा और राज्यसभा हॉल का आकार घोड़े के पैर के आकार का है।

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