यहूदी धर्म इतिहास

यहूदी धर्म  

इतिहास

समझा जाता है कि यहूदी धर्म के संस्थापक इब्राहीम 20वीं शताब्दी ई. पू. के मध्य में उत्तरी मेसोपोटामिया से कानान चले गए थे। वहाँ से इब्राहीम के अर्द्ध ख़ानाबदोश वंशज और उनके पुत्र इसाक और जेकब, जो तब तक 12 यहूदी परिवार बन चुके थे, मिस्त्र  चले गए, जहाँ उन्हें कई पीढ़ियों तक ग़ुलाम बनाकर रखा गया और ई.पू 13वीं शताब्दी में वे वहाँ पलायन करके इज़राइली कानानलौटे। यहूदी धर्म की तरह धर्माध्यक्षों का धर्म भी युगों-युगों तक विविध विदेशी विचारो के संपर्क में आया, इनमें मारी, उगारित, बेबिलोनिया, मेसोपोटामिया और मिस्र के प्रभाव सम्मिलित हैं। इज़राइली ईश्वर को विश्व का सृजनहार माना जाता है, जिसकी खोज इब्राहीम ने नहीं की थी, परंतु वह ईश्वर के साथ प्रतिज्ञाबद्ध हुए थे। ईश्वर ने इब्राहीम के साथ अपने वायदे मोजेज़ के माध्यम से पूरे किए, जिन्होंने पलायन का नेतृत्व किया और माउंट सिनाई में इज़राइल पर और प्रतिज्ञाओं का दायित्व रखा और अपने साथियों को कानान ले आए। धर्माध्यक्षों की कहानियों के अनुसार, कानान में बसना ईश्वर द्वारा प्रतिज्ञा पालन का अभिन्न अंग है। मिस्र में ग़ुलाम बने रहने के अनुभव से केवल उक्त मान्यता की नहीं, इसकी भी पुष्टि हुई कि इज़राइली ईश्वर क्षेत्रीय सीमाओं से परे समूची पृथ्वी का ईश्वर है।

यहूदी और यहूदत

प्राचीन मेसोपोटामिया में सामी मूल की विभिन्न भाषाएँ बोलने वाले अक्कादी, कैनानी, आमोरी, असुरी आदि कई खानाबदोश कबीले रहा करते थे। इन्हीं में से एक कबीले का नाम हिब्रू था। वे यहोवा को अपना ईश्वर और अब्राहम को आदि-पितामह मानते थे। उनकी मान्यता थी कि यहोवा ने अब्राहम और उनके वंशजों के रहने के लिए इस्त्राइल प्रदेश नियत किया है। प्रारम्भ में गोशन के  के  मिस्त्ररीयो में तनाव उत्पन्न हो गया। अत: मिस्त्री फराओं के अत्याचारों से परेशान होकर हिब्रू लोग  मूसा तृत्वें इस्त्राइल की ओर चल पड़े। इस यात्रा को यहूदी इतिहास में 'निष्क्रमण' कहा जाता है। इस्त्राइल के मार्ग में सिनाई पर्वत पर मूसा को ईश्वर का संदेश मिला कि यहोवा ही एकमात्र ईश्वर है, अत: उसकी आज्ञा का पालन करें, उसके प्रति श्रद्धा रखें और 10 धर्मसूत्रों का पालन करें। मूसा ने यह संदेश हिब्रू कबीले के लोगों को सुनाया। तत्पश्चात् अन्य सभी देवी-देवताओं को हटाकर सिर्फ़ यहोवा की आराधना की जाने लगी। इस प्रकार यहोवा की आराधना करने वाले 'यहूदी' और उनका धर्म 'यहूदत' कहलाया।

यहूदियों के पैगम्बर

यहूदी धर्म की मानता है कि ईश्वर अपना संदेश पैगम्बरों के माध्यम से प्रेषित करता है। यहूदी लोग अब्राहम, ईसाक और जेकब को अपना पितामह पैगम्बर, मूसा को मुख्य पैगम्बर तथा एलिजा, आयोस, होसिया, इजिया, हजकिया, इजकील, जरेमिया आदि को अन्य पैगम्बर मानते हैं। यहूदी धर्म एकेस्वा वाद आधारित है। उनका ईश्वर 'यहोवा' अमूर्त, निर्गुण, सर्वव्यापी, न्यायप्रिय, कृपालु और कठोर अनुशासनप्रिय है। अपनी आज्ञाओं के उल्लंघन होने पर वह दंड भी देता है। इतना ही नहीं, यहूदी लोग यहोवा की आज्ञाओं में सैन्य कृत्यों का भी संदेश पाते हैं। यहोवा उनको धर्म रक्षा के लिए सैन्य संघर्ष का भी आदेश देता है।

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