दोज़ख़

दोज़ख़

उपर्युक्त वाक्यों से क़ुरान–प्रतिपादित स्वर्ग का अनुमान हो सकता है। किन्हीं–किन्हीं आधुनिक व्याख्याताओं का मत है कि यह सब वाक्य–जार्डन आदि नदियों से सुसिचित ‘यमन’ आदि प्रदेशों पर मुसलमानी विजय के लिए भविष्यवाणी है, किन्तु यह मत न प्राचीन भाष्यकारों द्वारा अनुमोदित है और न यह सारे सामान वहाँ के लिए घटित होते हैं। वह बीसवीं शताब्दी के अनुकूल इसे बनाना चाहते हैं, किन्तु ऐसी भविष्यवाणी ही पर कहाँ बीसवीं शताब्दी विश्वास करती है। अस्तु कुछ थोड़े से नवीन विचार वालों को छोड़कर सारा इस्लामी संसार उपर्युक्त प्रकार का ही स्वर्ग मानता है। स्वर्ग ऐसी अदृष्ट वस्तु वस्तुतः कल्पना की सीमा के बाहर की है, उसमें ईश्वरीय आदेश ही प्रमाणभूत है।

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