मूर्तिपूजा खण्डन

मूर्तिपूजा खण्डन

मनुष्य जिसे शुभ कर्म समझता है, करता–कराता है और जिसे अशुभ, उसे न कराने और न करने देने का प्रयत्न करता है। ऊपर शुभ कर्मों का वर्णन किया जा चुका है। अशुभ कर्मों में 'क़ुरान' मूर्ति–पूजा को भी परिगणित करता है। अतः उसके विषय में यहाँ पर कुछ वर्णन कर देना आवश्यक प्रतीत होता है।

विक्रम से कई शताब्दियों पूर्व स, असुर, अल्दान, फ़िलिस्तीन, मीडिया, यवन, रोम आदि देशों में अनेक देवी–देवों की मूर्तियों की पूजा की जाती है। अरब में भी ऐसे अनेक देवालय थे जिनमें मक्का का 'काबा' सर्वश्रेष्ठ था।

'तदद', 'सुबाअ', 'यगूस', 'यऊक', 'नस्र' तथा 'हुब्ल', 'मनात', 'उज्जा' आदि कितनी ही देव–प्रतिमाओं का नाम क़ुरान में भी आया है। 'कल्ब', 'हम्दान', 'मज्हाज', 'मुदर' और 'हमयान' जातियों के क्रमशः नराकृति 'वदद', रत्र्याकृति 'सुबाअ', सिंहाकृति 'यग़ूस', अश्वाकृति 'यऊक' और श्येनाकृति 'नस्र' इष्ट थे। 'काबा' की प्रधान देव–प्रतिमा 'हुब्ल' को (अकाल के समय वर्षा करती है—सुनकर) 'अम्रू' ने सिरिया के 'बल्का' नगर से लाकर काबा में स्थापित किया। इस समय के अरब निवासियों में इन मूर्तियों का बड़ा प्रभाव था। जिस समय मक्का–विजय होने पर मुहम्मद ने मुसलमानों को काबा की मूर्तियों को तोड़ने को कहा, तो किसी की हिम्मत नहीं पड़ी। इस पर स्वयं अली ने इस काम को किया।


सदाचार

  • क़ुरान के अनुसार कृपणता भी एक अपराध है। एक जगह कहा है—

जो कृपणता करते हैं और दूसरे को भी वैसा ही करने के लिए सिखाते हैं, जो कुछ भगवान ने अपनी कृपा से दिया, उसे छिपा रखते हैं, ऐसे नास्तिकों के लिए महायातना तैयार की गई है।

  • किन्तु साथ ही अपव्ययता के बारे में भी कहा है—
'अल्लाहु ला याहिब्बुल्मुस्रिफीन्' (भगवान फ़जुल–ख़र्चों पर खुश नहीं रहता)।
  • विस्तार भय से अधिन न लिखकर दो–तीन क़ुरान के आचार सम्बन्धी उपदेश उदधृत किए जाते हैं—
  1. "शुभ कार्य कर और क्षमा माँग ले, अज्ञानियों से उपेक्षा कर।"
  2. "जो अपने ऊपर किए गए अन्याय का बदला लेवे, उसके लिए कुछ कहना नहीं। कहना तो उन पर है जा लोगों पर अन्याय करते हैं और दुनिया में व्यर्थ (धर्मात्मा होने) की धूम मचाते हैं। उन्हीं के लिए घोर यातना है। जो क्षमा और सन्तोष करे, तो (उसका) यह (काम) निस्सन्देह अत्यन्त साहस का है।"
  3. "तुम्हारी सन्तान....हमारे (ईश्वर के) समीप तुम्हें दर्जा नहीं दिला सकती है। हाँ, जो श्रृद्धालु और अच्छा काम करने वाले हैं, उनके लिए फल दूना है।"

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

अर्थ्यवस्था में प्रसिद्ध व्यक्तित्व

Use of Instead, use Of besides,use Of participle in English Grammar

पानीपत का प्रथम युद्ध (1526)