यहूदी धर्म
यहूदी धर्म
यहूदी धर्म | |
विवर | 'यहूदी धर्म' एक 'एक ही स्वर बाद धर्मधर्म है। इस धर्म की यह मान्यता है कि ईश्वर अपना संदेश पैगम्बरों के माध्यम से प्रेषित करता है। |
संस्थापक | इब्राहीम |
धर्मसूत्र | यहूदी धर्म में 10 धर्माचरणों का विशेष महत्त्व है, जिनका पालन करने पर 'यहोवा' की अनुपम कृपा प्राप्त होती है। |
धर्म ग्रंथ | 'तोरा', 'तालमुड', 'इलाका', 'अगाडा', 'तनाका'। |
पैगम्बर | यहूदी लोग'अब्राहम', 'ईसाक' और 'जेकब' को अपना पितामह; 'मूसा' को मुख्य पैगम्बर तथा 'एलिजा', 'आयोस', 'होसिया', 'इजिया', 'हजकिया', 'इजकील', 'जरेमिया' आदि को अन्य पैगम्बर मानते हैं। |
विशेष | यहूदियों के पुरोहित को 'रबी' तथा मंदिर या पूजास्थल को '' कहा जाता है। |
अन्य जानकारी | यहूदी धर्म 'एक ईश्वर वाद पर आधारित है। उनका ईश्वर 'यहोवा', अमूर्त, निर्गुण, सर्वव्यापी, न्यायप्रिय, कृपालु और कठोर अनुशासनप्रिय है। अपनी आज्ञाओं के उल्लंघन होने पर वह दंड भी देता है। |
यहूदी धर्म (अंग्रेजी: Judaism) यहूदी का एकेश्वरवादी धर्म है, जो यह मानता है कि ईश्वर की उपस्थिति का अनुभव मानव गतिविधियों और इतिहास द्वारा होता है। यह उपस्थिति कुछ मान्यताओं और मूल्यों की अभिव्यक्ति है, जो कर्म, सामाजिक व्यवस्था और संस्कृति में दृष्टिगोचर होती है।
यहूदी धर्म का मानना है कि यहूदी समुदाय का दिव्य के साथ प्रत्यक्ष सामना होता है और स्थापित होने वाला यह संबंध, बेरित (अनुबंध), अटूट है और यह समूची मानवता के लिए महत्त्वपूर्ण है। ईश्वर को 'तोरा प्रदायक', यानी दिव्य प्रदायक के रूप में देखा जाता है। अपने पारंपरिक व्यापक रूप में 'हिब्रू ग्रंथ' और यहूदी मौखिक परंपराएं धार्मिक मान्यताएँ रीति-रिवाज और अनुष्ठान, ऐतिहासिक पुनर्संकलन और इसके आधिकारिक ग्रंथों विवेचना है। ईश्वर ने दिव्य आशीष के लिए यहूदियों का चुनाव करके उन्हें मानवता तक इसे पहुँचाने का माध्यम भी बनाया और उनसे तोरा के नियमों के पालन और विश्व के अन्य लोगों के गवाह के रूप में काम करने की अपेक्षा की।
रबी
यहूदियों के पुरोहित को रबी कहते हैं।
सिनागौग
यहूदियों के मंदिर या पूजास्थल को सेनागौग कहते हैं।
धर्मपिटक
धर्म पिटक सिनागौग में रखा कीकट की लकड़ी का स्वर्णजटित एक पिटक है, जिसमें दस धर्मसूत्रों की प्रति रखी होती है। इसे धर्म प्रतिज्ञा की नौका भी कहते हैं।
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