इस्लाम धर्म इस्लाम के सिद्धान्त

इस्लाम धर्म  

इस्लाम के सिद्धान्त

अरबी के 'मज़हब' और 'दीन' शब्द जिस अर्थ में प्रयुक्त हैं, उसे अंग्रेज़ी का रिलीजन शब्द तो अवश्य व्यक्त कर सकता है। किन्तु  सुुुंकृत या हिंदी में उनका पर्यायवाची कोई एक शब्द नहीं मिलता। यद्यपि 'पन्थ' शब्द ठीक 'मज़हब' शब्द के ही धात्वर्थ को प्रकाशित करता है। किन्तु जिस प्रकार 'धर्म' शब्द अतिव्याप्त है, उसी प्रकार यह अव्याप्ति–दोषग्रस्त है। इस निबन्ध के वर्णनानुसार जो मार्ग मनुष्य के ऐहिक और आयुष्मिक श्रेय की प्राप्ति के लिए अनुसरण करने के योग्य है, वही इस्लाम पन्थ, धर्म या सम्प्रदाय है। आसानी के लिए हम प्रायः 'पन्थ' शब्द ही को इसके लिए प्रयुक्त करेंगे। हर एक पन्थ में दो प्रकार के मन्तव्य होते हैं। एक विश्वासात्मक, दूसरा क्रियात्मक। नीचे दोनों प्रकार के इस्लामी मन्तव्यों को क़ुरान के शब्दों ही में उदधृत किया जाता है— "यह पुण्य नहीं कि तुम अपने मुँह को पूर्व या पश्चिम की ओर कर लो। पुण्य तो यह है—परमेश्वर, अन्तिम दिन, देवदूतों, पुस्तक और ऋषियों पर श्रृद्धा रखना, धन को प्रेमियों, सम्बन्धियों, अनाथों, दरिद्रों, पथिकों, याचिकों और गर्दन बचाने वालों के लिए देना, उपवास (रोज़ा) रखना, दान देना, जब प्रतिज्ञा कर चुके तो अपनी प्रतिज्ञा को पूर्ण करना, विपत्तियों, हानियों और युद्धों में सहिष्णु (होना), (जो ऐसा करते हैं) वही लोग सच्चे और संयमी हैं।"

पुरानी कथाएँ

"यह (वह) बस्तियाँ हैं, जिनका वृत्तान्त तुझे (हम) सुनाते हैं।" "सो तू (मुहम्मद) कथा वर्णन कर, शायद यह विचार करे।"क़ुरान का एक विशेष भाग शिक्षाप्रद इतिवृत्तों और कथाओं से पूर्ण है। उपर्युक्त वाक्य इसके साक्षी हैं। क़ुरान में वर्णित सभी विषयों का सामान्य ज्ञान इस क़ुरानसार की रचना से अभिप्रेत है। अतः यहाँ पर उन कथाओं का थोड़ा–सा वर्णन कर दिया जाता है। इनमें से अनेक कथाएँ कुछ घटा - बढ़ा कर वहीं हैं जो बाइबिल में आई हैं। इन महात्माओं के बारे में है-

  • महात्मा आदम
  • महात्मा नूह
  • महात्मा इब्राहीम
  • महात्मा लूत
  • महात्मा युशुफ
  • महात्मा मूसा
  • महात्मा दाऊद

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