इस्लाम विषय सूची
ण | 'इस्लाम' एक एकेश्वरवादी धर्म है जो अल्लाह की तरफ़ से अंतिम रसूल और नबी, द्वा तक मोहम्मद चाई गई अंतिम ईश्वरीय किताब( कुरान ) की शिक्षा पर स्थापित है। |
'इस्लाम' का अर्थ | अल्लाह को समर्पण |
आधारभूत सिद्धांत | इस्लाम धर्म का आधारभूत सिद्धांत अल्लाह को सर्वशक्तिमान, एकमात्र ईश्वर और जगत् का पालक तथा हजरत मोहम्मद को उनका संदेशवाहक या पैगम्बर मानना है। |
क़लमा | 'ला इलाहा इल्लल्लाह मुहम्मदुर्रसूलुल्लाह' अर्थात् अल्लाह एक है, उसके अलावा कोई दूसरा नहीं और मुहम्मद उसके रसूल या पैगम्बर।' |
धर्म प्रवर्तक और संत | हजरत मोहम्मद abd Allah bin abd Abbas, अब्दल al कादिर जिलानी, सलीम चिश्ती, मुुइं उद्दीन निजामुद्दीनद ओलिया आदि |
पवित्र पुस्तक | कुरान जिसका हिंदी में अर्थ 'सस्वर पाठ' है। क़ुरआन शरीफ़ में 30 पारे, 114 सूरतें और 540 रुकूअ हैं। क़ुरान शरीफ़ की कुल आयत की तादाद 6666 (छह हज़ार छह सौ छियासठ) है। |
मुख्य सम्प्रदाय | शिया और सुन्नी |
संबंधित लेख | नमाज, अल्लाह फरििश्ता, शैतानई रोजा काबा |
अन्य जानकारी | 712 ई. में मुहम्मद इब्न कासिम के नेतृत्व में अरब के मुस्लिमो ने सिंंध पर हमला कर दिया और वहाँ के ब्र ब्राह्मण राजा दाहिर को हरा दिया। इस तरह भारत की भूमि पर पहली बार इस्लाम का प्रवेश हुआ। |
इस्लाम
एकेश्वरवादी धर्म है जो अलाह की तरफ़ से अंतिम रसूल और नबी, मोहम्मद हूहो द्वारा इंसानों तक पहुंचाई गई अंतिम ईश्वरीय किताब (कुरान) की शिक्षा पर स्थापित है। इस्लाम शब्द का अर्थ है – अल्लाह समर्पण'। इस प्रकार Musalman वह है, जिसने अपने आपको अल्लाह को समर्पित कर दिया, अर्थात् इस्लाम धर्म के नियमों पर चलने लगा। इस्लाम धर्म का आधारभूत सिद्धांत अल्लाह को सर्वशक्तिमान, एकमात्र ईश्वर और जगत् का पालक तथा हजरत मोहम्मद को उनका संदेशवाहक या पैगम्बर मानना है। यही बात उनके 'कलमे' में दोहराई जाती है - ला इलाहा इल्लल्लाह मुहम्मदुर्रसूलुल्लाह अर्थात् 'अल्लाह एक है, उसके अलावा कोई दूसरा (दूसरी सत्ता) नहीं और मुहम्मद उसके रसूल या पैगम्बर।' कोई भी शुभ कार्य करने से पूर्व मुसलमान यह क़लमा पढ़ते हैं। इस्लाम में अल्लाह को कुछ हद तक साकार माना गया है, जो इस दुनिया से काफ़ी दूर सातवें आसमान पर रहता है। वह अभाव (शून्य) में सिर्फ़ 'कुन' कहकर ही सृष्टि रचता है। उसकी रचनाओं में आग से बने फरिश्ते और मिट्टी से बने मनुष्य सर्वश्रेष्ठ हैं। गुमराह फ़रिश्तों को शैतान कहा जाता है। इस्लाम के अनुसार मनुष्य सिर्फ़ एक बार दुनिया में जन्म लेता है। मृत्यु के पश्चात् पुनः वह ईश्वरीय निर्णय (कयामत) के दिन जी उठता है और मनुष्य के रूप में किये गये अपने कर्मों के अनुसार ही 'जन्नत' (स्वर्ग) या 'नरक' पाता है।
'इस्लाम' को शुरुआत ही से सबका विरोध सहना पड़ा। उसने निर्भीकतापूर्वक जब दूसरों के मिथ्याविश्वासों का खण्डन किया, तो सभी ने भरसक इस्लाम को उखाड़ फैंकने का प्रयत्न किया। सचमुच जिस प्रकार का विरोध था, यदि उसी प्रकार की दृढ़ता मुसलमानों और उनके धर्मगुरु ने न दिखाई होती तो कौन कह सकता है कि इस्लाम इस प्रकार संसार के इतिहास को पलट देने में समर्थ होता।
भारत में प्रवेश
712 ई. में भारत में इस्लाम का प्रवेश हो चुका था मोहम्मद बिन कासिम के नेतृत्व में अरब के मुस्लिम o ने सिंंध पर हमला कर दिया और वहाँ के ब्रारह्मन राजा दाहिर को हरा दिया। इस तरह भारत की भूमि पर पहली बार इस्लाम के पैर जम गये और बाद की शताब्दियों के हिन्दू उसे फिर हटा नहीं सके। परन्तु सिंिंl सिंध ध पर प्र आरबो का शासन वास्तव में निर्बल था और 1176 ई. में साहब उद्दीन मोहम्मद गोरी ने उसे आसानी से उखाड़ दिया। इससे पूर्व सुुबुतगिन्न के नेतृत्व में मुसलमानों ने हमला करके पंजाब छीन लिया था और गजनी के सुल्तान महमूद ने 997 से 1030 ई. के बीच भारत पर सत्रह बार हमले किये और हिंदू राजाओं की शक्ति कुचल डाली, फिर भी हिन्दू राजाओं ने मुसलमानी आक्रमण का जिस अनवरत रीति से प्रबल विरोध किया, उसका महत्त्व कम करके नहीं आंकना चाहिए।
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