BSE Sensex

सेंसेक्स क्या होता है और इसकी गणना कैसे की जाती है?


सेंसेक्स या संवेदी सूचकांक का शुभारंभ "बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज" (BSE) द्वारा 1 जनवरी 1986 को किया गया था.यह भारत के प्रमुख शेयर बाजार इंडेक्स में से एक है. इस सेंसेक्स की स्थापना बाजार में कम्पनियों के शेयर मूल्यों में उतार-चढ़ाव को जानने के लिए की गयी थी. इसमें 30 कम्पनियों के शेयर मूल्यों में उतार चढ़ाव का मूल्यांकन किया जाता है. ये 30 कम्पनियाँ मार्किट वैल्यू के हिसाब से बड़ी, नामी -गिरामी और आर्थिक रूप से मजबूत होती हैं. यदि सेंसेक्स बढ़ रहा होता है, तो यह दर्शाता है कि BSE की ज्यादातर कंपनियों का स्टॉक मूल्य बढ़ गया है और यदि सेंसेक्स में कमी आई तो यह दर्शाता है कि BSE की ज्यादातर कंपनियों का शेयर मूल्य नीचे गिरा है. सेंसेक्स का आधार वर्ष 1978-79 है और इस समय के लिए बेस इंडेक्स वैल्यू 100 पर सेट है.
सेंसेक्स में उतार चढ़ाव की गणना कैसे की जाती है ?
बीएसई में 30 सूचीबद्ध कंपनियों के मार्केट कैपिटलाइज़ेशन के खाते में दैनिक आधार पर सेंसेक्स के मूल्य की गणना की गई है.


आइये इसे एक उदाहरण की सहायता से समझें:

मान लीजिए कि सेंसेक्स वर्तमान में 20000 के स्तर पर है. सुविधा के लिए हम मान लेते हैं कि BSE में केवल 2 रजिस्टर्ड कम्पनियाँ हैं जिनमे एक का नाम है "डेल्टा" और दूसरी का नाम है "गामा". माना कि डेल्टा के एक शेयर का मूल्य 200 रुपया है और इसके पास कुल बकाया शेयर हैं 10000 जबकि गामा के एक शेयर का मूल्य है 500 रुपया और इसके पास कुल बकाया शेयर है 7500. इन दोनों कंपनियों के कारण BSE का कुल बाजार पूंजीकरण होगा (रु. 200 x 10000) +(रु. 500 x 7500) =57.50 लाख रुपये.
अब मान लीजिए कि अगले दिन डेल्टा कंपनी के शेयर की कीमत 25% बढ़कर 250 तक चढ़ती है, और गामा कंपनी के शेयर की कीमत 10% कम होकर 450 हो जाती है. अब इन नए शेयर मूल्यों पर BSE का कुल मार्किट पूंजीकरण होगा:- (रु. 250 x 10000) +(रु. 450 x 7500) = 58.75 लाख रुपये.
दोनों कंपनियों के शेयरों के मूल्यों में उतार चढ़ाव के कारण BSE का बाजार पूंजीकरण 2.17% की वृद्धि के साथ 58.75 लाख हो जाता है. इस कारण सेंसेक्स 20434 पर पहुंच जाएगा जो 20000 से 2.17% ज्यादा है.list of 30 bse companies india

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इसी प्रकार यदि दोनों कम्पनियों के शेयर मूल्यों में कमी आ जाती है तो BSE का कुल बाजार पूंजीकरण भी कम हो जायेगा.
BSE में यह उतार चढ़ाव हर मिनट पर होता रहता है. यदि कंपनियों के शेयरों की खरीदारी ज्यादा होती है तो सेंसेक्स ऊपर जाता है और यदि बिकवाली ज्यादा होती है तो सेंसेक्स नीचे आता है.

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