शयर बाजार के बारे में तथ्य
शेयर बाजार के बारे में तथ्य
ब्रहस्पतिवार को भारतीय शेयर बाजार ने ऐतिहासिक ऊंचाई को छूते हुए पहली बार 50,000 के आंकड़े को पार कर लिया , हालांकि कारोबार के अंत में सेंसेक्स गिरावट के साथ 49,625 अंकों पर बंद हुआ । पर एक बात तो निश्चित है कि सेंसेक्स अब 50,000 से मात्र चंद कदम ही दूर है । पिछले वर्ष मार्च में सेंसेक्स 25,000 पर पहुंच गया था , और वहां से यह तेजी से आगे बढ़ा है । इसलिए उम्मीद की जा सकती है कि शेयर बाजार अब और आगे ही बढ़ेगा । भारतीय शेयर बाजार की इस ऐतिहासिक बढ़त के पीछे मूलभूत चार कारण हैं । इसका सबसे पहला कारण है- ग्लोबल लिक्विडिटी । मार्च से ग्लोबल सेंट्रल बैंक ने वैश्विक अर्थव्यवस्था में पैसा डालना शुरू किया , उसमें से कुछ अंश भारतीय बाजार में भी आया है । पिछले साल विदेशी निवेशकों ने लगभग डेढ़ लाख करोड़ रुपये भारतीय शेयर बाजार में लगाए । इसका दूसरा कारण है - फंडामेटल्स ( बुनियादी कारक ) । पिछले साल हमारी अर्थव्यवस्था काफी नीचे चली गई थी । भारतीय अर्थव्यवस्था में 23 फीसदी की गिरावट आई । 1950 के दशक के बाद पहली बार भारत में वर्ष 2020-21 ऋणात्मक विकास का साल है । विकास दर के गिरते ही बाजार ने उसे भांप लिया था और शेयर बाजार काफी तेजी से नीचे गिरा था । लेकिन अब उम्मीद है कि वर्ष 2021-22 में बहुत तेजी से विकास होगा । जीडीपी भी लगभग दस फीसदी बढ़ेगा और कॉरपोरेट कमाई लगभग 30 फीसदी बढ़ने की उम्मीद है । शेयर बाजार दूरदर्शी होता है और वह आगे की तरफ देखता है ,
इसलिए अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटने की उम्मीद में शेयर बाजार तेजी से बढ़ा है । तीसरा कारण है - मोमेंटम यानी गति । यह गति सरकारी फैसलों से आ रही है । एक तो रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में कटौती की , जिससे बाजार में जबर्दस्त तरलता आई । इसके चलते कंपनियां अपने कर्ज के बोझ को काफी हद तक कम कर पाईं और उनके ब्याज की देनदारी घटी । इसके अलावा सरकार ने संरचनात्मक सुधार के कदम उठाए । सरकार ने तत्काल राहत नहीं दी , लेकिन अब दिख रहा है कि सुधारों का असर हुआ है । यह सब बाजार को गति प्रदान
कर रहा है । और चौथी बात है , नए निवेशकों का प्रवेश । पिछले दस महीने में भारतीय स्टॉक मार्केट में लगभग एक करोड़ नए खाते खोले गए और नया पैसा भारतीय शेयर बाजार में आ रहा है । इसका भी शेयर बाजार पर असर पड़ा है । जो बाइडन के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने को भी इसके तात्कालिक कारणों में गिना जा सकता है , क्योंकि बाइडन ने 19 खरब डॉलर के राहत पैकेज लाने की घोषणा की है । पिछली बार भी जब अमेरिका में अप्रैल के अंत में और नवंबर के अंत में राहत पैकेज दिए गए थे , तो हमने देखा कि उसमें से कुछ पैसा शेयर बाजार में आया और खपत में भी आया था । अगर ट्रंप भी होते और राहत पैकेज देते , तो बाजार बढ़ता , क्योंकि बाजार को राहत पैकेज का इंतजार था । हां , बाइडन के आने से बाजार सेंटिमेंट्स जरूर थोड़ा सकारात्मक हुआ होगा , क्योंकि विदेश नीति बेहतर होने और शांति बरकरार रहने की उम्मीद बढ़ी है । अमेरिका के राहत पैकेज आने से अमेरिकी डॉलर थोड़ा और कमजोर होगा । डॉलर जब कमजोर होता है , तो पैसा उभरते हुए बाजारों में आता है और उसका हिस्सा भारत को भी मिलता है । उसके कारण भी हम देख रहे हैं कि बाजार आगे भाग रहा है । अगले कुछ दिनों में केंद्रीय बजट आने वाला है । निवेशकों को उम्मीद है कि सरकार अर्थव्यवस्था में पैसे डालेगी । जहां - जहां अर्थव्यवस्था में कमजोरी आई है , वहां सरकार कुछ राहत प्रदान करेगी । नकद हस्तांतरण के तहत लोगों की जेब में पैसा डाला जाएगा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में ज्यादा निवेश किया जाएगा । इन सबसे निवेशकों को उम्मीद है कि अर्थव्यवस्था का सकारात्मक चक्र चलना शुरू हो जाएगा और विकास में तेजी आएगी । इसी कारण बाजार में इतना जोश नजर आ रहा है ।
शेयर बाजार में जो प्रमोटर होते हैं , चाहे वह सरकार हो या निजी प्रमोटर , उनके पास लगभग पचास फीसदी शेयर होते हैं । विदेशी निवेशकों के पास भारतीय शेयरों के लगभग 23 फीसदी शेयर हैं और भारतीय इंस्टीटयूशंस ( म्यूचुअल फंड्स , इंश्योरेंस कंपनियां ) और खुदरा निवेशकों के पास लगभग 27 फीसदी शेयर हैं । इस तरह से देखें , तो घरेलू निवेशकों के पास विदेशी निवेशकों की तुलना में ज्यादा शेयर हैं , लेकिन विदेशी निवेशक जब शेयर बाजार से पैसे निकालते हैं , तो मार्केट गिरता है और जब वे निवेश करते हैं , तो मार्केट आगे बढ़ता है । उनका असर मार्जिन पर जरूर होता है , क्योंकि प्रमोटर तो ज्यादा छेड़छाड़ नहीं करते , लेकिन शेयर बाजार में ज्यादा प्रवाह विदेशी निवेशकों की वजह से आ रहा है । जब सूचकांक आगे बढ़ता है , तो उसका मतलब है कि बाजार आगे जा रहा है , उसकी जो घटक कंपनियां हैं , उनकी कीमतें बढ़ रही हैं , उनकी वेल्थ बढ़ रही है और जिन्होंने इन कंपनियों में निवेश किया है , उनका नेटवर्थ बढ़ रहा है । इससे निवेशकों का हौसला बढ़ता है । वैसे तो शेयर बाजार को अर्थव्यवस्था के कारण बढ़ना चाहिए , लेकिन इधर हो यह गया है कि विदेशी निवेशकों की ओर से शेयर बाजार में बहुत ज्यादा पैसा आ रहा है , ऐसे में अर्थव्यवस्था से इसका संबंध थोड़ा कमजोर हो जाता है । लेकिन अंत में अर्थव्यवस्था ही दर्शाएगी कि शेयर बाजार कहां जाएंगे , क्योंकि कंपनियां जो प्रदर्शन करेंगी , उससे ही अर्थव्यवस्था बनती है । उसमें कुछ कंपनियां लिस्टेड हैं और ज्यादातर कंपनियां निजी क्षेत्र में हैं या सरकारी हैं , जो लिस्टेड नहीं हैं । यह जरूर हम कह सकते हैं कि पिछले साल शेयर बाजार अर्थव्यवस्था के गिरने से पहले गिर गया , और जब अर्थव्यवस्था गिरती जा रही थी , तो मार्केट बढ़ने लग गया , क्योंकि बाजार आगे देखता है । और अब जब अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटेगी , तो यह जरूरी नहीं है कि शेयर बाजार बढ़ता रहे । क्योंकि शेयर बाजार पेंडुलम की तरह होता है वह जब गिरता है , तो बहुत गिरता है और बढ़ता है , तो बहुत बढ़ता है । लालच और भय के बीच में रहता है शेयर बाजार । इसकी कोई निश्चित स्थिति नहीं होती । अभी शेयर बाजार बहुत सकारात्मक है , कि कमाई में वृद्धि होगी , वैक्सीन के चलते कोरोना खत्म हो जाएगा , रोजमर्रा की जिंदगी सामान्य हो जाएगी , खपत बढ़ेगी । यह सब ठीक है , लेकिन इन सबको काफी हद तक मार्केट ने पचा लिया है , तो जरूरी नहीं कि जब अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटेगी , तब शेयर बाजार भी बेहतर प्रदर्शन करेगा । निवेशकों के लिए हमारी राय यही रहेगी कि छोटी अवधि के निवेश के शेयर बेचकर आप लाभ कमाइए , पर लंबी अवधि के निवेश में फायदा उठा सकें । महीने - दर महीने पैसा बाजार में लगाते जाएं , ताकि भारत के विकास का लाभ उठा सके।
शेयर बाजार विशेषग तथा पूर्व कंट्री, डायचे बैंक
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