समाजवाद के विचार

समाजवादी विचारों का उधव= 18 वी सतब्दी में ओद्योगिक क्रांति के परिणाम स्वूरूप समाजवादी विचारों का उदय विचारों का उदय एक विचारधारा के रूप में हुआ ओद्योगिक क्रांति के परिणाम स्वरूप समाज में दो नए वर्गो का उदय हुआ ।  (1) पूंजीपति = व्यापार वादीज्य पर कब्जा। (2)  मजदूर = मजदूरी के लिए उद्योगों में काम करते। पूंजीपति की अधिक लाभ कमाने के लिए बनाई गई श्रमिक नीतियों के कारण मजदूर वर्ग की सामाजिक तथा आर्थिक स्थिति निमंतर होती गई । फलस्वरूप मजदूरों की स्थिति में के लिए कई विचार लेख सामने आए और समाजवादी विचारधारा का उदय हुआ।  (1) मार्क्स पूर्व = स्वप्नदर्शी समाजवाद । ( 2) मार्क्स के बाद =  वैज्ञानिक समाजवाद । स्वप्नदर्शी समाजवाद को स्वप्नदर्शी समाजवाद की संज्ञा इसलिए दी गई है क्युकी यह यथार्थ से एकदम कटा हुआ था । कल्पना की थी की इस स्वप्नलोक में धनवान और निर्धन का भेद मिट जाएगा ,संपत्ति सबकी होगी , अन्नाए का कहीं नामोनिशान नहीं होगा । किन्तु उन चिंटकोने यह नहीं बताया कि उनके आदर्श समाज को धरातल पर कैसे उतारा जाए । स्वप्नदर्शी (1) सायिमॉन्न  19 वी सतांदी के आरंभ का फरांसिसी समाज सुधारक और दार्शनिक था।  इसने the new Christianity mein apne समाजवादी विचारों का प्रतिवाद किया इस इस सिद्धांत से वर्ग संघर्ष का वातावरण समाप्त होगा तथा पूंजीपति - श्रमिक मैत्रीपूर्ण तरीके से कार्य कर सकेंगे ।

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